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Showing posts from April, 2017

استخارہ سنت کے مطابق کیجیے

استخارہ سنت کے مطابق کیجیے استخارہ کا مطلب ہے کسی معاملے میں خیراور بھلائی کا طلب کرنا، یعنی روز مرہ کی زندگی میں پیش آنے والے اپنے ہرجائز کام میں اللہ تعالی کی طرف رجوع کرنا اور اللہ سے اس کام میں خیر، بھلائی اور رہنمائی طلب کرنا ،استخارہ کے عمل کو یہ سمجھنا کہ اس سے کوئی خبر مل جاتی ہے تویہ بہت بڑی غلط فہمی ہے۔ استخارہ ایک مسنون عمل ہے، جس کا طریقہ اور دعا نبی صلى الله عليه وسلم سے احادیث میں منقول ہے۔حضور اکرم صلى الله عليه وسلم حضرات صحابہ کرام رضوان اللہ علیہم اجمعین کو ہرکام سے پہلے اہمیت کے ساتھ استخارے کی تعلیم دیا کرتے تھے، حدیث کے الفاظ پر غور فرمائیے: حضرت جابر بن عبد اللہ رضى الله تعالى عنه فرماتے ہیں کہ نبی اکرم صلى الله عليه وسلم کا ارشاد گرامی ہے: اذا ھم احدکم بالامر فلیرکع رکعتین من غیر الفریضة (بخاری) ترجمہ :جب تم میں سے کوئی شخص کسی بھی کام کا ارادہ کرے تو اس کو چاہیے کہ فرض نماز کے علاوہ دو رکعت نفل پڑھے ۔ استخارہ کا مسنون اور صحیح طریقہ سنت کے مطابق استخارہ کا سیدھا سادہ اور آسان طریقہ یہ ہے کہ دن رات میں کسی بھی وقت (بشرطیکہ وہ نفل کی ادائیگی کا مکروہ وقت...

ایک شخص ابراھیم بن ادہم رحمتہ اللہ علیہ کے پاس آیا

ایک شخص ابراھیم بن ادہم رحمتہ اللہ علیہ کے پاس آیا ۔۔۔۔۔ اور کہا ۔۔۔۔ کوئ ایسا طریقہ بتائیے ۔۔۔۔۔۔۔ جس سے میں بڑے کام کرتا رہوں ۔۔۔۔۔ اور گرفت نہ ہو ۔۔۔۔۔۔ حضرت ابراھیم ادہم رحمتہ اللہ علیہ نے فرمایا ۔۔۔۔۔پانچ باتیں قبول کرلو ۔۔۔۔۔۔۔ پھر جو چاھے کرو ۔۔۔۔۔۔۔ تجھے کوئ گرفت نہ ہوگی ۔۔۔۔۔ (1) ۔۔۔۔۔۔۔۔۔ اول تو یہ جب تو کوئ گناہ کرے تو خدا کا رزق مت کہا۔۔۔۔۔ اس نے کہا۔۔۔۔۔ یہ تو بڑا مشکل ھے ۔۔۔۔۔۔ کہ رازق وہی ھے ۔۔۔۔ پھر میں کہاں سے کھاؤں؟۔۔۔۔۔۔۔۔۔ فرمایا!۔۔۔۔ تو یہ کب مناسب ھے ۔۔۔۔۔ کہ تو جس کا رزق کھائے ۔۔۔ پھر اس کی نافرمانی کرے۔۔۔۔ (2) ۔۔۔۔۔۔ دوسرا یہ اگر تو کوئ گناہ کرنا چاہے ۔۔۔۔ تو اس کے ملک سے باہر نکل کر،کر۔۔۔۔۔۔ اس نے کہا۔۔۔۔۔۔ تمام ملک ہی اس کا ھے ۔۔۔۔۔۔۔ پھر میں کہاں نکلوں؟۔۔۔۔۔۔۔ فرمایا!۔۔۔۔۔۔۔۔ تو یہ بات بھت بڑی ھے ۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔ جس کے ملک میں رہو ۔۔۔۔۔۔۔ اس کی بغاوت کرنے لگو۔۔۔۔ (3) تیسرا یہ کہ جب کوئ گناہ کرے تو ایسی جگہ کرجہاں وہ تجھے نہ دیکھے۔۔۔۔۔۔ اس نے کہا۔۔۔۔ یہ تو بھت ہی مشکل ھے ۔۔۔۔۔۔ اس لیے کہ وہ دلوں کا بھید بھی جانتا ھے ۔۔۔۔۔۔۔ فرمایا!۔۔۔۔۔...

کلمہ طیبہ کـــے دو حصـــے ہیں۔

کلمہ طیبہ کـــے دو حصـــے ہیں۔ "لاَ اِلٰہَ اِلَّا اللہ" اور "مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللہ" دونوں میں 12 , 12 حرف ہیں۔ دونوں غیر منقوط یعنی نقطوں کـــے بغیر ہیں۔ پہلا حصہ *مقصدِ زندگی* بتاتا ھــــے، دوسرا حصہ *طرزِ زندگی*۔ اور12+12 حروف تقاضہ کرتـــے ہیں کہ انسان اپنی 12+12 گھنٹـــے کی زندگی اللہ عزوجل اور اس کـــے رسول ﷺ کی رضا کــے مطابق گذارے۔ پہلـــے حصـــے میں نقطـــے نہ ہونـــے میں یہ اشارہ ھــــے کہ اللہ عزوجل کا کوئی شریک نہیں حتٰی کہ ایک نقطہ بھی نہیں، دُوسرے حصـــے میں اس لیے نقطہ نہیں کہ یہاں بھی کوئی ثانی نہیں اور ذرا سی بھی *نقطہ چینی* اسلام ســـے خارج کر دیتی ھــــے۔ دنیا کا سَب ســـے خوبصورت جملہ جِســـے بغیر ہونٹ ہِلاۓ ادا کِیا جاسکتا ھــــے، وہ ھــــے *لَا اِلہَ اِلاَ اللہ* - کلمـــے کـــے اِس اوّل حصّـــے میں یہ حکمت پوشیدہ ھــــے کہ ایک مَرتا ہوا آدمی بھی جو نقاہت کـــے باعث اپنـــے ہونٹوں کو ہِلانـــے ســـے قاصر ہو وہ بھی یہ کلمہ آسانی ســـے ادا کر سکتا ھـــے۔ سبحان اللہ

گزرا ھوا زمانہ آتا نہیں دوبارہ

گزرا ھوا زمانہ آتا نہیں دوبارہ اُس دور میں ماسٹر اگر بچے کو مارتا تھا تو بچہ گھر آکر اپنے باپ کو نہیں بتاتا تھا، اور اگر بتاتا تھا تو باپ اُسے ایک اور تھپڑ رسید کر دیتا تھا یہ وہ دور تھا جب ”اکیڈمی“کا کوئی تصور نہ تھا، ٹیوشن پڑھنے والے بچے نکمے شمار ہوتے تھے بڑے بھائیوں کے کپڑے چھوٹے بھائیوں کے استعمال میں آتے تھے اور یہ کوئی معیوب بات نہیں سمجھی جاتی تھی لڑائی کے موقع پر کوئی ہتھیار  نہیں نکالتا تھا، صرف اتنا کہنا کافی ہوتا تھا کہ ” *میں تمہارے ابا جی سے شکایت کروں گا*  ،،۔ یہ سنتے ہی اکثر مخالف فریق کا خون خشک ہو جاتا تھا اُس وقت کے ابا جی بھی کمال کے تھے، صبح سویرے فجر کے وقت کڑکدار آواز میں سب کو نماز کے لیے اٹھا دیا کرتے تھے۔ بے طلب عبادتیں ہر گھر کا معمول تھیں کسی گھر میں مہمان آجاتا تو اِردگرد کے ہمسائے حسرت بھری نظروں سے اُس گھر کو دیکھنے لگتے اور فرمائشیں کی جاتیں کہ ” مہمانوں “ کو ہمارے گھر بھی لے کر آئیں۔ جس گھر میں مہمان آتا تھا وہاں پیٹی میں رکھے، فینائل کی خوشبو والے بستر نکالے جاتے ، خوش آمدید اور شعروں کی کڑھائی والے تکئے رکھے جاتے ، مہمان کے لیے د...

एक "सफल" इंसान वही कहलाता है, जो "सफलता" बाँटता है ।

एक *"सफल"* इंसान वही केहलाता है, जो *"सफलता"* बाँटता है । एक दिन एक आदमी ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था। एक कार अचानक ही पार्किंग से निकलकर रोड पर आ गयी। ऑटो चालक ने तेजी से ब्रेक लगाया और कार, ऑटो से टकराते टकराते बची। कार चालक गुस्से में ऑटो वाले को ही भला-बुरा कहने लगा जबकि गलती कार- चालक की थी। ऑटो चालक ने कार वाले की बातों पर गुस्सा नहीं किया और माफी माँगते  हुए आगे बढ़ गया। ऑटो में बैठे व्यक्ति को कार वाले की हरकत पर गुस्सा आ रहा था । उसने ऑटो वाले से पूछा, "तुमने उस कार वाले को बिना कुछ कहे ऐसे ही क्यों जाने दिया? उसने तुम्हें भला-बुरा कहा जब कि गलती तो उसकी थी। हमारी किस्मत अच्छी है, नहीं तो उसकी वजह से हम अभी अस्पताल में होते।" ऑटो वाले ने कहा, "साहब बहुत से लोग गार्बेज ट्रक (कूड़े का ट्रक) की तरह होते हैं। वे बहोत सारा कूड़ा अपने दिमाग में भरे हुए चलते हैं। जिन चीजों की ज़िन्दगी में कोई ज़रूरत नहीं होती उनको मेहनत करके जोड़ते रहते हैं जैसे गुस्सा, दूसरों से जलन, फ़िकर, नाउम्मीदी वगैरह। जब उनके...

अंकल जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते हैं ?

एक पाँच छे. साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर मस्जिद के एक तरफ कोने में बैठा हाथ उठा कर अल्लाह से न जाने क्या मांग रहा था। कपड़े में मेल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे। बहुत लोग उसकी तरफ मुतवज़ो थे और वह बिल्कुल अनजान अपने अल्लाह से बातों में लगा हुआ था। जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा- "क्या मांगा अल्लाह से" उसने कहा- "मेरे पापा मर गए हैं उनके लिए जनंत, मेरी माँ रोती रहती है उनके लिए सब्र, मेरी बहन माँ से कपडे सामान मांगती है उसके लिए पैसे"। "तुम स्कूल जाते हो" अजनबी ने सवाल किया। "हां जाता हूं" उसने कहा। "किस क्लास में पढ़ते हो ?" अजनबी ने पूछा "नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, मां चने बना देती है वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ, बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है" बच्चे का एक एक लफ्ज़ मेरी रूह में उतर रहा था । "तुम्हारा कोई रिश्तेदार" न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा। "पता नहीं, माँ...

गैरहाज़िर कन्धे

गैरहाज़िर  कन्धे विश्वास साहब अपने आपको भाग्यशाली मानते थे। कारण यह था कि उनके दोनो पुत्र आई.आई.टी. करने के बाद लगभग एक करोड़ रुपये का वेतन अमेरिका में प्राप्त कर रहे थे। विश्वास साहब जब सेवा निवृत्त हुए तो उनकी इच्छा हुई कि उनका एक पुत्र भारत लौट आए और उनके साथ ही रहे ; परन्तु अमेरिका जाने के बाद कोई पुत्र भारत आने को तैयार नहीं हुआ, उल्टे उन्होंने विश्वास साहब को अमेरिका आकर बसने की सलाह दी। विश्वास साहब अपनी पत्नी भावना के साथ अमेरिका गये ; परन्तु उनका मन वहाँ पर बिल्कुल नहीं लगा और वे भारत लौट आए। दुर्भाग्य से विश्वास साहब की पत्नी को लकवा हो गया और पत्नी पूर्णत: पति की सेवा पर निर्भर हो गई। प्रात: नित्यकर्म से लेकर खिलाने–पिलाने, दवाई देने आदि का सम्पूर्ण कार्य विश्वास साहब के भरोसे पर था। पत्नी की जुबान भी लकवे के कारण चली गई थी। विश्वास साहब पूर्ण निष्ठा और स्नेह से पति धर्म का निर्वहन कर रहे थे। एक रात्रि विश्वास साहब ने दवाई वगैरह देकर भावना को सुलाया और स्वयं भी पास लगे हुए पलंग पर सोने चले गए। रात्रि के लगभग दो बजे हार्ट अटैक से विश्वास साहब की मौत हो गई। पत्नी प्रात...

"इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"?

अदभुत.. एक बार जरूर पढ़े 🙏🏻 बूढ़ा पिता अपने IAS बेटे के चेंबर में  जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया ! और प्यार से अपने पुत्र से पूछा... "इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"? पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "! पिता को इस जवाब की  आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा पिताजी इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान आप हैैं, जिन्होंने मुझे इतना योग्य बनाया ! उनकी आँखे छलछला आई ! वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे ! उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ??? पुत्र ने  इस बार कहा        "पिताजी आप हैैं, इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान "! पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ??? पुत्र ने हंसते हुए उन्हें अपने सामने बिठाते  हुए कहा "पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के...

लू लगने से मृत्यु क्यों होती है?

. लू लगना लू लगने से मृत्यु क्यों होती है? हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है? 👉 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है। 👉 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है। 👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है।( बंद कर देता है ) 👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है  और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है। 👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन  पकने लगता है . 👉  स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं। 👉 शरीर का पानी कम हो जाने...

ऐड़ी से ले कर चोटी तक की कोई भी नस बन्द हो , खुल जाएगी

*एक अनुभूत रामबाण नुस्खा* 1gm दाल चीनी 10 gm काली मिर्च साबुत 10gm तेज पत्ता 10gm मगज 10 gm मिश्री डला 10 gm अखरोट गिरी 10gm अलसी ______________ टोटल 61gm. ______________  सभी सामान रसोई का ही है । सभी को मिक्सी में पीस के बिलकुल पाउडर बना लें । 6 gm की 10 पुड़िया बन जायेगी। एक पुड़िया हर रोज सुबह खाली पेट नवाये पानी से लेनी है और एक घंटे तक कुछ भी नही खाना है । चाय पी सकते हो।  ऐड़ी से ले कर चोटी तक की कोई भी नस बन्द हो , खुल जाएगी । हार्ट पेसेंट भी ध्यान दें, ये खुराक लेते रहो । पूरी जिंदगी हार्टअटैक या लकवा से कोई जनहानि नहीं होगी। यह नुस्खा कितना फायदेमंद होगा यह तो लेने से मालुम होगा। पर वस्तुओं की सूची पढ़कर लग रहा है कि शायद कोई हानिकारक वस्तु इसमें नहीं है। फिर भी लेना है या नहीं यह अपने हिसाब से तय कर लें । 1. ૧ગ્રામ તજ 2. ૧૦.ગ્રામ કાળા મરી આખા 3. ૧૦ગ્રામ તમાલપત્ર આખા 4. ૧૦ગ્રામ મગજતરી ના બી 5. ૧૦ગ્રામ સાકર 6. ૧૦ગ્રામ અખરોટ 7. ૧૦ ગ્રામ અળસી ઉપરોકત તમામ વસ્તુઓ ને  મિક્ક્ષર માં પીસી પાવડર બનાવી આ પાવડર માં થી દશ પડીકી બનાવો દર...

बच्चे, तुम रोज़ गार्ड बनते हो। तुम्हें कभी इंजिन, कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती?

*Positive attitude* एक घर के पास काफी दिन से एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था। वहां रोज मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चे एक दूसरे की शर्ट पकडकर रेल-रेल का खेल खेलते थे। *रोज कोई बच्चा इंजिन बनता और बाकी बच्चे डिब्बे बनते थे...* *इंजिन और डिब्बे वाले बच्चे रोज बदल  जाते,* पर... केवल चङ्ङी पहना एक छोटा बच्चा हाथ में रखा कपड़ा घुमाते हुए रोज गार्ड बनता था। *एक दिन मैंने देखा कि* ... उन बच्चों को खेलते हुए रोज़ देखने वाले एक व्यक्ति ने कौतुहल से गार्ड बनने वाले बच्चे को पास बुलाकर पूछा.... *"बच्चे, तुम रोज़ गार्ड बनते हो। तुम्हें कभी इंजिन, कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती?"* इस पर वो बच्चा बोला... *"बाबूजी, मेरे पास पहनने के लिए कोई शर्ट नहीं है। तो मेरे पीछे वाले बच्चे मुझे कैसे पकड़ेंगे... और मेरे पीछे कौन खड़ा रहेगा....?* *इसीलिए मैं रोज गार्ड बनकर ही खेल में हिस्सा लेता हूँ।* *"ये बोलते समय मुझे उसकी आँखों में पानी दिखाई दिया।* *आज वो बच्चा मुझे जीवन का एक बड़ा पाठ पढ़ा गया...* *अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता। उसमें कोई न कोई कमी जरुर रहेग...

गर्मी में कोल्ड ड्रिंक नहीं, पिएं ये 11 देसी ड्रिंक्स ! इनको बनाना है बहुत ही आसान

*गर्मी में कोल्ड ड्रिंक नहीं, पिएं ये 11 देसी ड्रिंक्स ! इनको बनाना है बहुत ही आसान* गर्मी में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए कोल्ड ड्रिंक या सोडा पीने के बजाय नेचुरल चीजों से बने ड्रिंक्स पीने की सलाह डॉक्टर्स भी देते हैं। इसमें डाले जाने वाले अलग-अलग मसालों से न सिर्फ टेस्ट बढ़ता है, बल्कि हेल्थ के लिए भी यह फायदेमंद है। हम बता रहे हैं ऐसे ही 11 देसी ड्रिंक्स के बारे में। *आम का पना* कच्चे आम का पना गर्मी में लू से बचने का बेस्ट ऑप्शन है। इसमें विटामिन सी की मात्रा ज्यादा होती है जिससे आपको तुरंत एनर्जी मिलती है। *कैसे बनाएं* कच्चे आम (कैरी) को छिलकर उबाल लें। इसमें काला नमक, पुदीना, शक्कर डालकर ब्लेंडर में ब्लेंड कर लें। इसे गिलास में निकालें और बर्फ के टुकड़े डालकर सर्व करें। *शिकंजी* गर्मी में शिकंजी पीने से आपको तुरंत एनर्जी मिलती है। शिकंजी इस मौसम में होने वाली डलनेस को दूर करेगी। इसे बनाकर कुछ दिन तक फ्रिज में रखा जा सकता है। *कैसे बनाएं* एक जग में पानी लें। उसमें नींबू का रस, जीरा पाउडर, काला नमक और शक्कर मिला लें। अब शिकंजी को छलनी से छालकर गिलास में डालें और ...

और तू मेरे गांव को गँवार कहता है।

तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है। ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है,l तू बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है। थक गया है हर शख़्स काम करते करते, तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है। गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास, तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है। मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं, तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है। जिनकी सेवा में खपा देते थे जीवन सारा, तू उन माँ बाप को अब भार कहता है। वो मिलने आते तो कलेजा साथ लाते थे, तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है। बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें, अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है। बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में। पूरा परिवार भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है। अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं, तू इस नये दौर को संस्कार कहता है।

मुझे उस दिन दो हजार किराया थोड़ा लग रहा था

बहुत ही प्यारा वाकया ज़रूर पढ़ें वह गर्मियों की एक तपती दोपहर थी। ऑफिस से मैं छुट्टी ली हुई थी क्योंकि घर के कुछ जरूरी काम निपटाने थे। बच्चों को कंप्यूटर पर गेम खेलना सिखा रहा था कि बाहर बेल बजी। काफी देर के बाद दूसरा बैल हुई तो मैं जाकर  दरवाजा खोला। सामने मेरी ही उम्र के एक साहब खड़े थे। "... अ अलैकुम ....!" उन्होंने बेहद अच्छे तरीके से हाल चाल पुछा। पहले तो मेरे मन में ख्याल आया यह कोई चंदा आदि लेने वाले हैं। उनके चेहरे पर दाढ़ी खूब सज रही थी, और कपड़े से वह चंदा मांगने वाले हरगिज़ नहीं लग रहे थे। "जी फरमाये, मैंने पूछा। "आप ताहिर साहब हैं?" '' जी '' मैं मुख़्तसर जवाब दिया। "वे मुझे रफीक साहब ने भेजा है। शायद आपको किराएदार की जरूरत है।" हाँ हाँ ...! "मुझे अचानक याद आया कि मैंने ऑफिस के एक साथी को बताया था कि मैं अपने घर का ऊपर वाला हिस्सा किराए पर देना चाहता हूँ अगर कोई नेक और छोटा परिवार उसकी नज़र में हो तो बताए। क्योंकि कार्यालय वेतन खर्च पूरे नहीं होते। मुझे दुख हुआ कि मैं इतनी धूप में काफी देर इसे बाहर खड़ा रखा। ...