मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा !

बाहर  बारिश  हो  रही  थी, और अन्दर  क्लास  चल रही  थी
       तभी  टीचर  ने  बच्चों  से  पूछा - अगर तुम  सभी  को  100-100 रुपया  दिए जाए  तो  तुम  सब  क्या  क्या खरीदोगे ?

किसी  बच्चे ने  कहा - मैं  वीडियो  गेम खरीदुंगा..

किसी बच्चे ने  कहा - मैं  क्रिकेट  का  बेट खरीदुंगा..

किसी बच्ची ने  कहा - मैं  अपने  लिए  प्यारी सी  गुड़िया  खरीदुंगी..

तो,

किसी  बच्ची ने  कहा - मैं  बहुत  सी चॉकलेट्स  खरीदुंगी..

एक  बच्चा  कुछ  सोच  में  डुबा  हुआ  था....
सर  ने  उससे  पुछा ; तुम  क्या  सोच  रहे  हो, तुम अपने लिए क्या खरीदोगे ?

बच्चा ने कहा ; सर  जी  मेरी  माँ  को थोड़ा  कम  दिखाई  देता  है  तो  मैं अपनी  माँ  के  लिए  एक  चश्मा खरीदूंगा !

टीचर  ने  पूछा  -  तुम्हारी  माँ  के  लिए चश्मा  तो  तुम्हारे  पापा  भी  खरीद सकते  है  तुम्हें  अपने  लिए  कुछ  नहीं खरीदना ?

बच्चे  ने  जो  जवाब  दिया  उससे टीचर  का भी दिल भर  आया !

बच्चे  ने  कहा ; मेरे  पापा  अब  इस दुनिया  में  नहीं  है
मेरी  माँ  लोगों  के  कपड़े  सिलकर मुझे  पढ़ाती  है, और  कम  दिखाई  देने  की  वजह  से  वो  ठीक  से  कपड़े नहीं  सिल  पाती  है  इसीलिए  मैं  मेरी माँ  को  चश्मा  देना  चाहता  हुँ, ताकि मैं  अच्छे  से  पढ़  सकूँ  बड़ा  आदमी बन  सकूँ, और  माँ  को  सारे  सुख  दे सकूँ.!

टीचर ने कहा ; बेटा  तेरी  सोच  ही  तेरी कमाई  है  ये 100 रूपये  मेरे  वादे के अनुसार  और, ये 100 रूपये  और उधार  दे  रहा  हूँ। जब  कभी  कमाओ तो  लौटा  देना  और, मेरी  इच्छा  है, तू  इतना  बड़ा  आदमी  बने  कि  तेरे सर  पे  हाथ  फेरते  वक्त  मैं  धन्य  हो जाऊं !

20 साल के बाद..........

बाहर  बारिश  हो  रही थी और अंदर क्लास चल रही थी

अचानक  स्कूल  के  आगे  जिला कलेक्टर  की  बत्ती  वाली  गाड़ी आ कर  रूकती  है  स्कूल  स्टाफ चौकन्ना  हो  जाता  हैं !

स्कूल  में  सन्नाटा  छा  जाता  हैं !

मगर ये क्या ?

जिला  कलेक्टर  एक  बूढ़े  टीचर के पैरों  में  गिर  जाते  हैं, और  कहते हैं ; सर  मैं ....   उधार  के  100  रूपये  लौटाने  आया  हूँ !

पूरा  स्कूल  इस्टाफ़  स्तब्ध रेह जाता है !

बूढ़े टीचर झुके  हुए नौजवान कलेक्टर को उठाकर बाहों में ले लेता है, और रो  पड़ता  हैं !

दोस्तों -
*मशहूर  होना, पर मगरूर  मत  बनना।*
*साधारण रहना, कमज़ोर  मत  बनना।*

*वक़्त  बदलते  देर  नहीं  लगती..*

शहनशाह  को  फ़कीर, और  फ़क़ीर को शहनशाह  बनते,


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