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Showing posts from January, 2019

तलबीना की अहमियत

ताकत ही ताकत  एक बार जरूर पढ़ें   "रसूलुल्लाह ﷺ के घर वालों में से जब कोई बीमार होता था तो हुक्म होता के उसके लिए तल्बीना तैयार किया जाए, फिर फरमाते थे कि तल्बीना बीमार के दिल से गम को उतार देता है, और उसकी कमजोरी को यूं उतार देता है जैसे के तुम में से कोई अपने चेहरे को पानी से धोकर उससे गंदगी उतार देता है।  (इब्ने माजा )  हज़रत आयशा रज. से रिवायत है कि ...तल्बीना दिल को मजबूत करता है।(बुखारी)  ..... तल्बीना बीमार के हृदय को राहत पहुंचाता है,और उदास की उदासी दूर करता है।(बुखारी, मुस्लिम)  हज़रत आयशा मय्यित के घर वालों और रोगी के लिए तल्बीना का आदेश, सूचन जारी करती।(मुत्तफ़क़ अलैही) आज की नई साइंस रिसर्च ने यह साबित किया है कि जौ एक औषधीय गुण तथा स्वास्थ्य वर्धक लाभदायक अनाज है।  जौ में दूध के मुकाबले में 10 गुना अधिक कैल्शियम होता है और पालक से ज्यादा फौलाद मौजूद होता है उसमें तमाम जरूरी  विटामिन्स भी पाए जाते हैं, परेशानी और थकान के लिए भी तलबीना का सूचन मिलता है, फरमाते हैं:"यह मरीज के दिल के तमाम बीमारियों का इलाज है और दिल से गम को उतार ...

क़िस्सा_हिकमतो_सब्र_का

*#क़िस्सा_हिकमतो_सब्र_का* एक बादशाह महल की छत पर टहलने चला गया- टहलते टहलते उसकी नज़र महल के नज़दीक घर की छत पर पड़ी जिस पर एक बहुत खूबसूरत औरत कपड़े सुखा रही थी- बादशाह ने अपनी एक बांदी को बुला कर पूछा: किसकी बीवी है ये? बांदी ने कहा: बादशाह सलामत ये आपके गुलाम फीरोज़ की बीवी है- बादशाह नीचे उतरा, बादशाह पर उस औरत के हुस्नो जमाल का सहर सा छा गया था- उसने फीरोज़ को बुलाया- फीरोज़ हाज़िर हुआ तो बादशाह ने कहा: फीरोज़ हमारा एक काम है- हमारा ये खत फलां मुल्क के बादशाह को दे आओ और मुझे इसका जवाब भी उनसे ले आना- फीरोज़: बादशाह का हुक्म सर आंखों पर, और वो उस खत को लेकर घर वापस आ गया खत को अपने तकिए के नीचे रख दिया,सफर का सामान तैयार किया,रात घर में गुज़री और सुबह मंज़िले मक़सूद पर रवाना हो गया इस बात से ला इल्म कि बादशाह ने उसके साथ क्या चाल चली है- इधर फीरोज़ जैसे ही नज़रों से ओझल हो गया बादशाह चुपके से फीरोज़ के घर पहुंचा और आहिस्ता से फीरोज़ के घर का दरवाज़ा खटखटाया- फीरोज़ की बीवी ने पूछा कौन है ? बादशाह ने कहा: मैं बादशाह ! तुम्हारे शौहर का मालिक- तो उसने दरवाज़ा खोला- बादशा...

انٹرویو

*انٹرویو*      بڑی دوڑ دھوپ کے بعد وہ آفس پہنچ گیا _ آج اس کا انٹرویو تھا ۔      وہ گھر سے نکلتے ہوئے سوچ رہا تھا : اے کاش ، آج میں کامیاب ہو گیا تو فوراً اپنے پشتینی مکان  کو خیر باد کہہ دونگا اور یہیں شہر میں قیام کروں گا  _ امی اور ابو کی روزانہ کی مغزماری  سے جان چھڑا لوں گا ۔!       صبح جاگنے سے لےکر رات کو سونے تک ہونے والی مغز ریزی سے اکتا گیا ہوں ، بیزار ہو گیا ہوں ۔      صبح غسل خانے کی تیاری کرو تو حکم ہوتا ہے :پہلے بستر کی چادر درست کرو پھر غسل خانے جاؤ !      غسل خانے سے نکلو تو فرمان جاری ہوتا ہے: نل بند کردیا _ تولیہ سہی جگہ پر رکھا ہے یا یوں ہی پھینک دیا ؟      ناشتہ کرکے کے گھر سے نکلنے کا سوچو تو ڈانٹ پڑی : پنکھا بند کیا یا چل رہا ہے ؟     کیا کیا سنیں؟؟! یار، نوکری ملے تو گھر چھوڑ دوں گا -      آفس میں  بہت سے امیدوار بیٹھے "باس " کا انتظار کر رہے تھے _ دس بج گئے تھے  _ اس نے دیکھا ، پیسج کی  بتی ابھی تک جل رہی ہے ...