उस के साथ ताल्लुकात आज कल कुछ खराब है वरना बर्तन में ही देता है
एक साहब कहते हैं कि मैं किसी अनजान शहर में था- एक चरसी ने मुझसे चरस के लिए पैसे मांगे--- मैंने कहा, तुझे खाना खिला देता हुँ । मगर चरस के पैसे नहीं दूंगा वो बोला खिलाने वाला कोई और है तुम बस मुझे चरस के पैसे दे दो, ना चाहते हुए भी मैं ने उसे चंद रुपए दे दिए, जब वो चला गया तो मैं भी उसके पीछे हो लिया के ये किधर जाता है और क्या करता है- करीब में एक शादी का फंक्शन था, लोग खाने के बर्तन इधर-उधर लेकर जा रहे थे- ऐसे में एक शख्स से चावलों से भरी ट्रे गिर गई- वो ट्रे उठाकर आगे बढ़ गया- वो चरसी उन्हीं चावलों के पास बैठ कर खाने लगा, उस चरसी की मुझ पर नजर पड़ी तो उसने मुझे देखते हुए एक जुमला कहा जिसे मैं शायद जिंदगी भर ना भूल पाऊंगा , उसने कहा! "उस के साथ ताल्लुकात आज कल कुछ खराब है वरना बर्तन में ही देता है" "और करीम इतना है कि नाराज हो तो भी भूखा नहीं देख सकता ।।"