निकाह- अब नसीहत मिल जाने पर भी नहीं मानेगें तो नुकसान तो उठाना ही पड़ेगा।
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अगर 17-18 साल में बच्चे बच्चियां बालिग हो रहे है। और 25,30 तक निकाह नही हो रहा है। तो ये जिन्सी मरीज़ भी बनेगे और गुनाह भी करेंगे।
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वक्त पर निकाह औलाद का हक है इसमें ताखीर औलाद को गुनाहगार करती है।
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हर गैर शादी शुदा जवान लड़का और लड़की एक दुसरे की तलब रखते है और ऐ एक फितरी ज़रुरत है लिहाज़ा आपने बालीग बच्चे बच्चीओं के निकाह का बंदोबस्त करें
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भूख प्यास के बाद बालिग इन्सान की तीसरी अहम ज़रुरत जीन्सी तसकीन है और जब जाऐज़ ज़रीया ना हो तो बच्चा / बच्ची गुनाह और ज़हनी बीमारीयों का शीकार हो जाते है
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बद किस्मती की इन्तेहा मदारीस,यूनीवरसीटी में बडे बडे लडके लडकीयां बगैर निकाह इल्म हासील कर रहे हैं और वालदैन को निकाह की परवाह ही नही।
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इंसान की जिन्सी ज़रुरत का वाहिद बाईज़्ज़त हाल निकाह है और अगर निकाह नही तो ज़िना आम होगा। आम फहम नतीजा है।
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अपनी बच्चीयों के सर पर दुपट्टा डालने का मकसद तब पुरा होगा जब ईनका निकाह वक्त पे होगा।
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अल्लाह ताला ने मआशरती आमाल मे से निकाह को सबसे आसान रक्खा है।
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निकाह इन्सानों का तरीक़ा है जानवर बगैर निकाह के रहते है और रह सकते है।
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वालेदैन अपनी औलाद पे रहम करे और वक्त पे निकाह का बन्दोबस्त करे ।
और अच्छा और अच्छा रीश्ते ढूढने और छानने के चक्कर में औलादों की उम्र बड़ा देते हैं। ये जुल्म हैं । फिर अगर लडके और लडकियों से बेहयाई और बड़े गुनाह, बिमारी में फस जाते हैं। तो उसके ज़िम्मेदार मां- बाप भी है।
*हमारे नबी ने फ़रमाया : 3 चीजों में जल्दी करो= 1. लड़की के निकाह में 2. मैय्यत की तदफीन में ,3. क़र्ज़ की अदायगी में*
अब नसीहत मिल जाने पर भी नहीं मानेगें तो नुकसान तो उठाना ही पड़ेगा। अल्लाह सब जानता है, सब देखता है। जो अक्सर मां- बाप को नहीं दिखता है पर जवाब आखेरत में बच्चों को और वालदैन को देना पड़ेगा कोताही,हिर्स,का और भुगतना होगा दिन ए इस्लाम की तालिम को कम समझने का नतीजा ।
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