हम रोज़े क्यूँ रखते हैं ??? 7 साल के मासूम साहिल ने ये सवाल अपने अब्बा से पुछा।
हम रोज़े क्यूँ रखते हैं ???
7 साल के मासूम साहिल ने ये सवाल अपने अब्बा से पुछा।
सामने बेठे डॉ.असलम साहब (जो की एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं) उन्हों ने
ने बड़े प्यार से जवाब दिया कि बेटा रोज़े इन्सान की नफ़्स पर काबू पाने का बहुत अच्छा जरिया हैं
ये वो पोशीदा इबादत है जो मुआशरे (समाज) में अमीर ग़रीब के बीच की खायी को भरने का काम करती है।।।
दिन भर बिना कुछ खाए पिए शाम को जब अल्लाह के दिए रिज़्क से अफ्तार किया जाता है तो इंसानी रूह घमंड लालच और अमीर गरीब को भूल जाती है।
सामने बेठे डॉ.असलम साहब (जो की एक प्रसिद्ध डॉक्टर हैं) उन्हों ने
ने बड़े प्यार से जवाब दिया कि बेटा रोज़े इन्सान की नफ़्स पर काबू पाने का बहुत अच्छा जरिया हैं
ये वो पोशीदा इबादत है जो मुआशरे (समाज) में अमीर ग़रीब के बीच की खायी को भरने का काम करती है।।।
दिन भर बिना कुछ खाए पिए शाम को जब अल्लाह के दिए रिज़्क से अफ्तार किया जाता है तो इंसानी रूह घमंड लालच और अमीर गरीब को भूल जाती है।
सामने बेठी नुमैरा डॉ.साहब की बड़ी बेटी जो की होनहार स्टूडेंट और नए ज़माने के ख्यालों वाली लड़की है
तपाक से बोली
क्या पापा आप भी पुराने ज़माने की बातें निकाल कर बेठ गये
भला दिन भर भूके प्यासे रहने से भी खुदा खुश होता है।।
मैं तो आप लोगो की ज़बरदस्ती से रोज़ा रखती हूँ
तपाक से बोली
क्या पापा आप भी पुराने ज़माने की बातें निकाल कर बेठ गये
भला दिन भर भूके प्यासे रहने से भी खुदा खुश होता है।।
मैं तो आप लोगो की ज़बरदस्ती से रोज़ा रखती हूँ
असलम साहब ने ठंडी सांस ली और खामोश हो गये।।
अगले दिन नुमैरा कॉलेज के लिए जाने लगी तो माँ से बोली की
मम्मा आज एक्स्ट्रा क्लास हैं में देर से आउंगी
पर बेटा तेरा रोज़ा है इफ्तार तक आ जाना
जी हो सका तो वरना कैंटीन से ही खा लुंगी।
मम्मा आज एक्स्ट्रा क्लास हैं में देर से आउंगी
पर बेटा तेरा रोज़ा है इफ्तार तक आ जाना
जी हो सका तो वरना कैंटीन से ही खा लुंगी।
शाम को इफ्तार से कुछ देर पहले नुमैरा काम से फ़ारिग़ हुई
बोली:- ओ हो अब ये ड्राईवर कहाँ मर गया कब से कॉल कर रही हूँ
6:50 हो गये हैं इफ्तार में बहुत कम वक़्त बचा है और प्यास से भी हालत खराब है।।
सामने सड़क पर एक बुज़ुर्ग अपने रिक्शे के पास खड़े अपने गमछे से पसीना पोछते हुए आसमां को निहार रहे हैं।
तभी नुमैरा ने आवाज़ दी
रिक्शा
बुज़ुर्ग गमछे को कंधे पर डाल कर पास आते है
और गले पर जोर डालते है पर बिना पानी के सूखे गले से आवाज़ भरभरा के बाहर आई।
हाँ बेटा कहाँ चलना है???
खुर्शीद मेंशन चलोगे ??? ( ये नुमैरा के घर का पता था)
उसी गमछे से बुज़ुर्ग ने रिक्शे की सीट साफ़ की और कहा
जी बेठो बेटा
बोली:- ओ हो अब ये ड्राईवर कहाँ मर गया कब से कॉल कर रही हूँ
6:50 हो गये हैं इफ्तार में बहुत कम वक़्त बचा है और प्यास से भी हालत खराब है।।
सामने सड़क पर एक बुज़ुर्ग अपने रिक्शे के पास खड़े अपने गमछे से पसीना पोछते हुए आसमां को निहार रहे हैं।
तभी नुमैरा ने आवाज़ दी
रिक्शा
बुज़ुर्ग गमछे को कंधे पर डाल कर पास आते है
और गले पर जोर डालते है पर बिना पानी के सूखे गले से आवाज़ भरभरा के बाहर आई।
हाँ बेटा कहाँ चलना है???
खुर्शीद मेंशन चलोगे ??? ( ये नुमैरा के घर का पता था)
उसी गमछे से बुज़ुर्ग ने रिक्शे की सीट साफ़ की और कहा
जी बेठो बेटा
नुमैरा कपडे समेटते हुए बेठी
ज़रा जल्दी चलिए
रोज़े का वक़्त हुआ जाता है
इस ड्राईवर के बच्चे को तो घर जाकर बताती हूँ
ज़रा जल्दी चलिए
रोज़े का वक़्त हुआ जाता है
इस ड्राईवर के बच्चे को तो घर जाकर बताती हूँ
पसीने से तर बुज़ुर्ग अपनी पूरी ताक़त लगा के रिक्शा खीचते हैं
पर प्यास और भूक की शिद्दत से जिस्म का पुरज़ा पुर्ज़ा जवाब दे रहा था और सांस मूह के ज़रिये अंदर फेफड़ो में समां रही थी
पर प्यास और भूक की शिद्दत से जिस्म का पुरज़ा पुर्ज़ा जवाब दे रहा था और सांस मूह के ज़रिये अंदर फेफड़ो में समां रही थी
ओहो क्या गुनाह कर दिया था मेने जो में इस रिक्शे पर बेठ गयी
सिर्फ 5 मिनट बचे हैं इफ्तार के
मेरा तो प्यास से बुरा हाल है ।ये रोज़े तो मोम और डैड को ही मुबारक हो। मेरे बस की नहीं
सिर्फ 5 मिनट बचे हैं इफ्तार के
मेरा तो प्यास से बुरा हाल है ।ये रोज़े तो मोम और डैड को ही मुबारक हो। मेरे बस की नहीं
बूढी हड्डियों में जितनी ताक़त थी सब लगा देने के बाद भी उतनी स्पीड नही आ सकी जितने में नुमेरा टाइम रहते घर पहुँच सके।
अचानक एक झटका लगता है और रिक्शा रुक जाता है
रिक्शे की चैन उतर चुकी थी
और पास की मस्जिद में चेहल पहल बढ़ गयी थी
नाज़ ओ नखरे से पली बढ़ी नुमैरा का पारा सातवें आसमान पर था
और रोज़े की शिद्दत ने आग में घी का काम किया
अचानक एक झटका लगता है और रिक्शा रुक जाता है
रिक्शे की चैन उतर चुकी थी
और पास की मस्जिद में चेहल पहल बढ़ गयी थी
नाज़ ओ नखरे से पली बढ़ी नुमैरा का पारा सातवें आसमान पर था
और रोज़े की शिद्दत ने आग में घी का काम किया
जब आपके बस की नहीं है तो क्यों इस काम को करते हो
दिमाग़ खराब कर दिया
अब यहाँ से तो कोई और रिक्शा भी नही मिलेगा
मैं तो बुरी फसी।।
दिमाग़ खराब कर दिया
अब यहाँ से तो कोई और रिक्शा भी नही मिलेगा
मैं तो बुरी फसी।।
नुमैरा का पूरा गुस्सा झेलने के बाद बुज़ुर्ग प्यार से बोले
बेटा मैं माफ़ी चाहता हूँ इन बूढ़ी हड्डियों ने हमेशा ही दगा दिया है
बेटा अज़ान होने वाली है
अगर बुरा न मानो तो मेरा घर पास में ही है वहां
रोज़ा खोल लो नमाज़ के बाद में तुमको छोड़ आऊंगा
बेटा मैं माफ़ी चाहता हूँ इन बूढ़ी हड्डियों ने हमेशा ही दगा दिया है
बेटा अज़ान होने वाली है
अगर बुरा न मानो तो मेरा घर पास में ही है वहां
रोज़ा खोल लो नमाज़ के बाद में तुमको छोड़ आऊंगा
न जाने क्या सोचकर नुमैरा ने हाँ कर दी
शायद ये भूक और प्यास ही थी जो उससे ये करा रही थी
शायद ये भूक और प्यास ही थी जो उससे ये करा रही थी
बुज़ुर्ग ने रिक्शे के हैंडल से एक काली थेली उतारी
और आगे आगे चल दिए
कुछ देर बाद दोनों एक टूटे से घर में थे
दरवाज़े की जगह पर्दा पड़ा था
परदे के हटते ही छोटा सा कमरा सलाम और जवाब से गूँज उठा
सामने एक चटाई पर एक जग में पानी और दो गिलास रखे थे
एक तरफ एक बुज़ुर्ग औरत् और दूसरी तरफ दो जवान लड़की बेठी थी
मॉडर्न नुमैरा ने भी सलाम कर ही लिया
बूढ़ी औरत उठी और सर पर हाथ फैर कर कहा बेठो बेटा
बुज़ुर्ग ने वो काली थेली बड़ी बेटी के हाथ में दी और वुज़ू करने चल दिए
थेली में कुछ फल और खजूरे थी
सब लोग चटाई के इर्द गिर्द जमा थे और रब से दुआ मांग रहे थे बस एक नुमैरा ही थी जो कभी घडी को देखती और कभी पानी के गिलास को।।
और आगे आगे चल दिए
कुछ देर बाद दोनों एक टूटे से घर में थे
दरवाज़े की जगह पर्दा पड़ा था
परदे के हटते ही छोटा सा कमरा सलाम और जवाब से गूँज उठा
सामने एक चटाई पर एक जग में पानी और दो गिलास रखे थे
एक तरफ एक बुज़ुर्ग औरत् और दूसरी तरफ दो जवान लड़की बेठी थी
मॉडर्न नुमैरा ने भी सलाम कर ही लिया
बूढ़ी औरत उठी और सर पर हाथ फैर कर कहा बेठो बेटा
बुज़ुर्ग ने वो काली थेली बड़ी बेटी के हाथ में दी और वुज़ू करने चल दिए
थेली में कुछ फल और खजूरे थी
सब लोग चटाई के इर्द गिर्द जमा थे और रब से दुआ मांग रहे थे बस एक नुमैरा ही थी जो कभी घडी को देखती और कभी पानी के गिलास को।।
तभी अल्लाहु अकबर की सदा से माहौल गूँज उठता है
सबने एक एक खजूर हाथ में ली
पर बुज़ुर्ग खातून ने सबसे पहले नुमैरा को कहा
लो बेटी खजूर और रोज़ा खोलो
प्यास से बेहाल नुमैरा पहले तो पानी पर ही टूटना चाहती थी
पर जाने क्यों वो इनकार न कर सकी
सबने रोज़ा खोला और एक आवाज़ में रब का शुक्र अदा किया
सामने बेठी बड़ी लड़की ने गिलास में पानी ले कर नुमैरा की तरफ बढाया और कहा
लीजिये आपी आपको प्यास की शिद्दत ज्यादा है
पानी का पहला घूँट पिते ही नुमैरा के जान में जान आई
फिर बोली
आप लोग भी लो
बड़ी लडकी बोली पहले आप लें
हमको तो आदत है
ये अलफ़ाज़ नुमैरा के कान से होते हुए दिलो दिमाग में हल्चल मचा गये
वो लड़की जो कभी किसी की परवाह नहीं करती थी ऐशो आराम की आदत वाली लडकी जो कभी फाइव स्टार से निचे वाले रेस्तरा में नही बेठी
आज एक टूटे मकान में चटाई पर रखे कुछ खजुर और पानी से रोज़ा इफ्तार कर रही थी
उसने दोनों लडकियों से पुछा आप लोग इसी घर में रहते हैं तभी
एक आवाज़ नुमैरा के कानो से टकराई
बेटा आप बड़े घर् की लगती हो
हम लोगो की येही छोटी सी झोपडी है
ये दोनों मेरी बेटियां है और जो तुमको लाये वो मेरे शोहर है
इस उम्र में वो जितना कमा सकते है बस उसी से हम गुज़ारा करते हैं
हम गरीबो के पास बस यही है इसी में अल्लाह का शुक्र है
सबने एक एक खजूर हाथ में ली
पर बुज़ुर्ग खातून ने सबसे पहले नुमैरा को कहा
लो बेटी खजूर और रोज़ा खोलो
प्यास से बेहाल नुमैरा पहले तो पानी पर ही टूटना चाहती थी
पर जाने क्यों वो इनकार न कर सकी
सबने रोज़ा खोला और एक आवाज़ में रब का शुक्र अदा किया
सामने बेठी बड़ी लड़की ने गिलास में पानी ले कर नुमैरा की तरफ बढाया और कहा
लीजिये आपी आपको प्यास की शिद्दत ज्यादा है
पानी का पहला घूँट पिते ही नुमैरा के जान में जान आई
फिर बोली
आप लोग भी लो
बड़ी लडकी बोली पहले आप लें
हमको तो आदत है
ये अलफ़ाज़ नुमैरा के कान से होते हुए दिलो दिमाग में हल्चल मचा गये
वो लड़की जो कभी किसी की परवाह नहीं करती थी ऐशो आराम की आदत वाली लडकी जो कभी फाइव स्टार से निचे वाले रेस्तरा में नही बेठी
आज एक टूटे मकान में चटाई पर रखे कुछ खजुर और पानी से रोज़ा इफ्तार कर रही थी
उसने दोनों लडकियों से पुछा आप लोग इसी घर में रहते हैं तभी
एक आवाज़ नुमैरा के कानो से टकराई
बेटा आप बड़े घर् की लगती हो
हम लोगो की येही छोटी सी झोपडी है
ये दोनों मेरी बेटियां है और जो तुमको लाये वो मेरे शोहर है
इस उम्र में वो जितना कमा सकते है बस उसी से हम गुज़ारा करते हैं
हम गरीबो के पास बस यही है इसी में अल्लाह का शुक्र है
ये वो अलफ़ाज़ थे जिसने नुमैरा की कैफियत बदल दी
उसे वो सब याद आ रहा था जब साहिल के सवाल पर पापा ने उसे अमीरी गरीबी को पाटने वाली बात बताई थी
आज नुमैरा ने वो खुद महसूस किया था
केसे रोज़ा अमीर और ग़रीब के फासले को मिटा कर एक ही टूटी चटाई पर सबको इकट्ठा कर देता है
तभी बुजुर्ग आ जाते है और बोले
चलो बेटा में तुमको छोड़ आता हूँ
जी चलिए
नुमैरा सलाम करती है
खातून फिर उसके सर पर हाथ फेरती है और माथे का बोसा लेती है
इस बार नुमैरा नदामत के साथ सर को झूका लेती है
उसकी आँखों में आंसू थे शायद वो समझ चुकी थी इन लोगो की अमीरी के आगे उसकी मालो दोलत कोई मायेने नही रखती
और ये रोज़ा ही था जिसने आज उसे असल जिंदिगी से मिलाया
वो पलट कर चलने लगी
चलते चलते आसमां को तकती नुमैरा अल्लाह का शुक्र भी अदा कर रही थी
और नदामत,आजिज़ी और बन्दिगी के आंसू उसके रुखसार को ही नही उसके क़ल्ब को भी धो रहे थे।।।।।
उसे वो सब याद आ रहा था जब साहिल के सवाल पर पापा ने उसे अमीरी गरीबी को पाटने वाली बात बताई थी
आज नुमैरा ने वो खुद महसूस किया था
केसे रोज़ा अमीर और ग़रीब के फासले को मिटा कर एक ही टूटी चटाई पर सबको इकट्ठा कर देता है
तभी बुजुर्ग आ जाते है और बोले
चलो बेटा में तुमको छोड़ आता हूँ
जी चलिए
नुमैरा सलाम करती है
खातून फिर उसके सर पर हाथ फेरती है और माथे का बोसा लेती है
इस बार नुमैरा नदामत के साथ सर को झूका लेती है
उसकी आँखों में आंसू थे शायद वो समझ चुकी थी इन लोगो की अमीरी के आगे उसकी मालो दोलत कोई मायेने नही रखती
और ये रोज़ा ही था जिसने आज उसे असल जिंदिगी से मिलाया
वो पलट कर चलने लगी
चलते चलते आसमां को तकती नुमैरा अल्लाह का शुक्र भी अदा कर रही थी
और नदामत,आजिज़ी और बन्दिगी के आंसू उसके रुखसार को ही नही उसके क़ल्ब को भी धो रहे थे।।।।।
समद खान सामी की क़लम से
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