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दोहे (दोहावली)

1 *दोहा:-*
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।।

मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है.
अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा ।

2 *दोहा:-*
*ऐसी देनी देन जु*
               *कित सीखे हो सेन।*
*ज्यों ज्यों कर ऊँचौ करौ*
                *त्यों त्यों नीचे नैन।।*

इसका मतलब है कि रहीम तुम ऐसा दान देना कहाँ से सीखे हो? जैसे जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते हैं वैसे वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यूँ झुक जाते हैं?*

*रहीम ने जवाब में लिखा*

*देनहार कोई और है*
                *भेजत जो दिन रैन।*
*लोग भरम हम पर करैं*
                   *तासौं नीचे नैन।।*

मतलब, देने वाला तो कोई और है वो मालिक है वो परमात्मा है वो दिन रात भेज रहा है। परन्तु लोग ये समझते हैं कि मैं दे रहा हूँ रहीम दे रहा है। ये सोच कर मुझे शर्म आ जाती है और मेरी आँखें नीचे झुक जाती हैं।

3 *दोहा:-*
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥

ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है।

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