कल्कि अवतार (पंडित वेद प्रकाश ब्राह्मण)
कल्कि अवतार
हाल ही में भारत में प्रकाशित होने वाली पुस्तक "* कल्कि अवतार *" दुनिया भर हलचल मचा दी है। इस किताब में यह बताया गया है कि हिन्दुओं की धार्मिक किताबों में जिस * का कल्कि अवतार * चर्चा है 'वह * अंतिम रसूल मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * बन अब्दुल्ला हैं।
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इस पुस्तक के लेखक अगर कोई मुसलमान होगा तो वह अब तक जेल में होता और इस पुस्तक पर प्रतिबंध लग चुकी होती मगर लेखक पंडित वेद प्रकाश ब्राह्मण हिंदू हैं और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़े हैं। वे संस्कृत के प्रमुख शोधकर्ता और विद्वान हैं। उन्होंने अपनी इस शोध को देश के आठ प्रसिद्ध अग्रणी शोधकर्ताओं पंडितों के सामने पेश किया है जो अपने क्षेत्र में प्रामाणिक गिरा दिया जाता है। इन पंडितों ने किताब के ध्यानपूर्वक अध्ययन और अनुसंधान के बाद यह स्वीकार किया है कि किताब में पेश किए गए हवाले श्रेणियाँ प्रामाणिक और सही हैं। उन्होंने अपने शोध का नाम "* कल्कि अवतार *" यानी सभी ब्रह्मांड के नेता रखा है।
हिन्दुओं की महत्वपूर्ण धार्मिक पुस्तकों में एक महान नेता का उल्लेख है। जिसे "* कल्कि अवतार *" का नाम दिया गया है इसका अर्थ * हज़रत मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * जो मक्का में पैदा हुए। इसलिए सभी हिन्दू जहाँ भी हों, उन्हें किसी कल्कि अवतार का इंतजार नहीं करना है, बल्कि सिर्फ इस्लाम स्वीकार करना है, और अंतिम * दूत अल्लाह आशीर्वाद * नक्शेकदम पर चलना है जो बहुत पहले अपने मिशन के पूरा होने के बाद इस दुनिया से नेविगेट गए हैं। अपने इस दावे की दलील में पण्डित वेद प्रकाश ने हिन्दुओं पवित्र धार्मिक पुस्तक "* वेद *" निम्नलिखित संबंध तर्क के साथ पेश किए हैं।1.📓 "वेद" पुस्तक में लिखा है कि
"* कल्कि अवतार *" भगवान काआख़री अवतार होगा जो पूरी दुनिया कोराज्यह दिखाए। इन शब्दों कअहवालह देने के बाद पंडित ोीदपरकाश यह कहते हैं कि यह सिर्फ * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के मामले में सही हो सकता है।
2.📓 "भारत" की भविष्यवाणी के अनुसार "* कल्कि अवतार *" एक द्वीप में पैदा होगा और यह अरब क्षेत्र है, जैसे जआभरة अल अरब कहा जाता है।
3। 📓मकदस किताब में लिखा है कि
"* कल्कि अवतार *" पिता का नाम '' * विष्णु भगत * "और मां का नाम" * सोमानब * "होगा। संस्कृत भाषा में "* विष्णु *" * अल्लाह * के अर्थ में प्रयुक्त होता है और "* भगत *" के अर्थ दास दास हैं। इसलिए अरबी में
"* विष्णु भगत *" का मतलब अल्लाह का बंदा यानी "* अब्दुल्ला *" हे.सनस्क्रत में "* सोमानब *" का मतलब शांति है कि अरबी भाषा में "* आमना *" होगा और अंतिम रसूल) * * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * (पिता का नाम * अब्दुल्ला * और मां का नाम * आमना * है।
4.📓ोीद किताब में लिखा है कि "* कल्कि अवतार *" जैतून और खजूर उपयोग करेगा। ये दोनों फल * हुज़ूर अकरम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम * को मरगोब थे। वे अपने दृश्य में सच्चा और ईमानदार हो जाएगा। मक्का में * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के लिए * सादिक * और * अमीन * के उपनाम इस्तेमाल किए जाते थे।5.📓 "* वेद *" के अनुसार "* कल्कि अवतार *" अपने देश के प्रतिष्ठित परिवार से होगा और यह भी * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के बारे में सच साबित होता है कि आप कुरैश के सुप्रसिद्ध कबीले से थे, जो मक्का में बेहद सम्मान था।
6.📓हमारी किताब कहती है कि भगवान "* कल्कि अवतार *" अपने विशेष दूत के माध्यम से एक गुफा में पढ़ाएगा। इस मामले में यह भी सही है कि * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * मक्का की वह एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्हें अल्लाह तआला ने गुफा हीरा में अपने विशेष दूत हज़रत गेब्रियल के माध्यम से शिक्षा दी।
7.📓 हमारे मूल आस्था के अनुसार भगवान "* कल्कि अवतार *" को एक तेज घोड़ा अनुदान देगा, जिस पर सवार होकर वह जमीन और सात आसमानों की सैर कर आएगा। * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के "* पारदर्शी * पर मेराज का सफर" क्या यह साबित नहीं करता है?
8.📓 हमें विश्वास है कि भगवान * "कल्कि अवतार *" की बहुत मदद मिलेगी और यह बहुत शक्ति प्रदान करेंगे। हम जानते हैं कि जंगे बद्र में * अल्लाह * ने * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के स्वर्गदूतों से मदद फ़रमाई।9। 📓हमारी सारी धार्मिक पुस्तकों के अनुसार "* कल्कि अवतार *" घुड़सवारी, तेज शैली और तलवार मैथुन में विशेषज्ञ है।
पंडित वेद प्रकाश ने उस पर जो टिप्पणी की है। वे महत्वपूर्ण और विचारणीय है। वह लिखते हैं कि घोड़ों, तलवारों और भालों का जमाना बहुत पहले गुजर चकाहे.ाब टैंक, तोपों और मिसाइल जैसे हथियार इस्तेमाल में हैं। इसलिए यह समझदारी नहीं है। हम तलवार, तीर और बरछयों सशस्त्र "* कल्कि अवतार *" का इंतजार करते रहीं.हकीकत यह है कि पवित्र पुस्तकों में "* कल्कि अवतार *" स्पष्ट संकेतक। * हज़रत मुहम्मद अल्लाह व ोसल * काम के बारे में हैं उन सभी मुकाबला कला में सही कौशल रखते थे। टैंक तोपों और मिसाइल के इस दौर में घुड़सवार, तेग डाले और तेरा न्दाज़ कल्कि अवतार का इंतजार निरी मूर्खता है।
* जानीये – क्यों हराम है सुअर का मांस ….
इस्लाम में सुअर का माँस खाना वर्जित(हराम) होने की बात से सभी परिचित हैं। निम्नलिखित तथ्यों द्वारा इस प्रतिबन्ध की व्याख्या की गई है।
1). सुअर के मांस का निषेध पवित्र कुरआन में ।
पवित्र क़ुरआन में कम से कम चार स्थानों पर सुअर का मांस खाने की मनाही की गई है। पवित्र क़ुरआन की सूरह 2 आयत 173, सूरह 5 आयत 3, सूरह 6 आयत 145, सूरह 16 आयत 115 में इस विषय पर स्पष्ट आदेश दिये गए है।
पवित्र कुरआन की निम्न आयत इस बात को स्पष्ट करने के लिए काफी है, कि सुअर का मांस क्यों हराम किया गया है।
» तुम्हारे लिए (खाना) हराम (निषेध) किया गया मुर्दार, खून, सुअर का मांस और वह जानवर जिस पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो। – (कुरआन 5:3)
इस संदर्भ में पवित्र क़ुरआन की सभी आयतें मुसलमानों को संतुष्ट करने हेतु पर्याप्त है, कि सुअर का मांस उनके लिए हराम है।
2). बाइबल ने भी सुअर का मांस खाने की मनाही की है।
संभवतः ईसाई लोग अपने धर्मग्रंथ में तो विश्वास रखते ही होंगे।
बाइबल में सुअर का मांस खाने की मनाही इस प्रकार की गई है।
» और सुअर को, क्योंकि उसके पाँव अलग और चिरे हुए हैं। पर वह जुगाली (Rumination/पागुर) नहीं करता, वह भी तुम्हारे लिये अपवित्र है, तुम उनका मांस न खाना, उनकी लाशो को न छूना, वह तुम्हारे लिए अपवित्र हैं। – (ओल्ड टेस्टामेंट, अध्याय 11, 7 से 8)
कुछ ऐसे ही शब्दों के साथ ओल्ड टेस्टामेंट की पाँचवी पुस्तक में सुअर खाने से मना किया गया है।
» और सुअर तुम्हारे लिए इस कारण से अपवित्र है कि इसके पाँव तो चिरे हुए हैं परन्तु वह जुगाली नहीं करता, तुम न तो उनका माँस खाना और न उनकी लाशों को हाथ लगाना। – (ओल्ड टेस्टामेंट, अध्याय 14 : 8)
3). सुअर के मांसाहार से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं।
अब आईए ! ग़ैर मुस्लिमों और ईश्वर को न मानने वालों की ओर । उन्हें तो बौद्धिक तर्क, दर्शन और विज्ञान के द्वारा ही संतुष्ट किया जा सकता है।
सुअर का मांस खाने से कम से कम 70 विभिन्न रोग लग सकते हैं। एक व्यक्ति के उदर में कई प्रकार के कीटाणु हो सकते हैं, जैसे राउण्ड वर्म, पिन वर्म और हुक वर्म इत्यादि। उनमें सबसे अधिक घातक टाईनिया सोलियम (Taenia Soliam) कहलाता है। सामान्य रूप से इसे टेपवर्म या फीताकृमि भी कहा जाता है। यह बहुत लम्बा होता है और आंत में रहता है। इसके अण्डे रक्त प्रवाह में मिलकर शरीर के किसी भी भाग में पहुंच सकते हैं। यदि यह मस्तिष्क तक जा पहुंचे तो स्मरण शक्ति को बहुत हानि पहुंचा सकते हैं। यदि दिल में प्रवेश कर जाए तो दिल का दौरा पड़ सकता है। आँख में पहुंच जाए तो अंधा कर सकते हैं। जिगर में घुसकर पूरे जिगर को नष्ट कर सकते हैं। इसी प्रकार शरीर के किसी भाग को हानि पहुंचा सकते हैं। एक अन्य अत्यन्त घातक कृमि (कीड़ा) Trichura Tichurasis है ।
यह एक सामान्य भ्रांति है कि यदि सुअर के मांस को भली भांति पकाया जाए तो इन रोगाणुओं के अण्डे नष्ट हो जाएंगे। अमरीका में किये गए अनुसंधान के अनुसार ट्राईक्योरा से प्रभावित 24 व्यक्तियों में 20 ऐसे थे जिन्होंने सुअर का माँस अच्छी तरह पका कर खाया था। इससे पता चला कि सुअर का मांस अच्छी तरह पकाने पर सामान्य तापमान पर भी उसमें मौजूद रोगाणु नहीं मरते जो भोजन पकाने के लिए पर्याप्त माना जाता है।
4). सुअर के मांस में चर्बी बढ़ाने वाला तत्व होता है।
सुअर के मांस में ऐसे तत्व बहुत कम होते हैं, जो मांसपेशियों को विकसित करने के काम आते हों। इसके विपरीत यह चर्बी से भरपूर होता है। यह वसा रक्त नलिकाओं में एकत्र होती रहती है, और अंततः अत्याधिक दबाव (हाइपर टेंशन) ओर हृदयघात का कारण बन सकती है। अतः इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि 50 प्रतिशत से अधिक अमरीकियों को हाइपर टेंशन का रोग लगा हुआ है।
5). सुअर संसार के समस्त जानवरों से अधिक घिनौना जीव है।
सुअर संसार में सबसे अधिक घिनौना जानवर है। यह गंदगी, मैला इत्यादि खाकर गुज़ारा करता है। मेरी जानकारी के अनुसार यह बेहतरीन सफ़ाई कर्मचारी है, जिसे ईश्वर ने पैदा किया है। वह ग्रामीण क्षेत्र जहाँ शौचालय आदि नहीं होते और जहाँ लोग खुले स्थानों पर मलमूत्र त्याग करते हैं, वहाँ की अधिकांश गन्दगी यह सुअर ही साफ़ करते हैं।
कुछ लोग कह सकते हैं कि आस्ट्रेलिया जैसे उन्नत देशों में सुअर पालन स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में किया जाता है। परन्तु इतनी सावधानी के बावजूद कि जहाँ सुअरों को बाड़ों में अन्य पशुओं से अलग रखा जाता है, कितना ही प्रयास कर लिया जाए कि उन्हें स्वच्छ रखा जा सके किन्तु यह सुअर अपनी प्राकृतिक प्रवत्ति में ही इतना गन्दा है कि उसे अपने साथ के जानवरों का मैला खाने में ही आनन्द आता है।
[30/01, 7:18 PM] +91 94142 17508: खतना इन्सान को कई बड़ी बीमारियों से बचाता है जानिए …
!! दुनियाभर में हुए शोधों ने यह साबित किया है कि खतना इंसान की कई बड़ी बीमारियों से हिफाजत करता है।
इस समय खतना (सुन्नत) यूरोपीय देशों में बहस का विषय बना हुआ है। खतने को लेकर पूरी दुनिया में एक जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। इस पर विवाद तब शुरू हुआ जब जर्मनी के कोलोन शहर की जिला अदालत ने अपने एक फैसले में कहा कि शिशुओं का खतना करना उनके शरीर को कष्टकारी नुकसान पहुंचाने के बराबर है। फैसले का जबर्दस्त विरोध हुआ। इस मुद्दे का अहम पहलू हाल ही आया अमरीका के शिकागो स्थित बालरोग पर शोध करने वाली संस्था ‘द अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स’ का ताजा बयान। में कहा है कि नवजात बच्चों में किए जाने वाले खतना या सुन्नत के सेहत के लिहाज से बड़े फायदे हैं। सच भी है कि समय-समय पर दुनियाभर में हुए शोधों ने यह साबित किया है कि खतना इंसान की कई बड़ी बीमारियों से हिफाजत करता है।
खतना एक शारीरिक शल्यक्रिया है जिसमें आमतौर पर मुसलमान नवजात बच्चों के लिंग के ऊपर की चमड़ी काटकर अलग की जाती है।
!! वैज्ञानिकों ने दिए सबूत !!
शिकागो स्थित बालरोग चिकित्सकों के इस बयान का आधार वैज्ञानिक सबूत हैं जिनके आधार पर यह साफतौर पर कहा जा सकता है कि जो बच्चे खतने करवाते हैं, उनमें कई तरह की बीमारियां होने की आशंका कम हो जाती है। इनमें खासतौर पर छोटे बच्चों के यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाले इंफेक्शन, पुरुषों के गुप्तांग संबंधी कैंसर, यौन संबंधों के कारण होने वाली बीमारियां, एचआईवी और सर्वाइकल कैंसर का कारक ह्युमन पैपिलोमा वायरस यानि एचपीवी शामिल हंै।
एकेडेमी उन अभिभावकों का समर्थन करता है जो अपने बच्चे का खतना करवाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि खतना किए गए पुरुषों में संक्रमण का जोखिम कम होता है क्योंकि लिंग की आगे की चमड़ी के बिना कीटाणुओं के पनपने के लिए नमी का वातावरण नहीं मिलता है.
!! एड्स और गर्भाशय कैंसर से हिफाजत !!
महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का कारण ह्युमन पैपिलोमा वायरस होता है। यह वायरस लिंग की उसी चमड़ी के इर्द-गिर्द पनपता है जो संभोग के दौरान महिलाओं में प्रेषित हो जाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में अप्रेल 2002 में प्रकाशित एक आर्टिकल का सुझाव था कि खतने से महिला गर्भाशय कैंसर को बीस फीसदी तक कम
किया जा सकता है। खतने से एचआईवी और एड्स से हिफाजत होती है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के ही मई 2000 के एक आर्टिकल में उल्लेख था कि खतना किए हुए पुरुष में एचआईवी संक्रमण का खतरा आठ गुना कम होता है। हजार में से एक पुरुष लिंग कैंसर का शिकार हो जाता है लेकिन खतना इंसान की इस बीमारी से पूरी तरह हिफाजत करता है।
नवंबर 2000 में बीबीसी टेलीविजन ने यूगांडा की दो जनजातीय कबीलों पर आधारित एक रिपोर्ट प्रसारित की। इसके मुताबिक उस कबीले के लोगों में एड्स नगण्य पाया गया जो खतना करवाते थे, जबकि दूसरे कबीले के लोग जो खतना नहीं करवाते थे, उनमें एड्स के मामले ज्यादा पाए गए। इस कार्यक्रम में बताया गया कि कैसे लिंग के ऊपर चमड़ी जो खतने में हटाई जाती है, उसमें संक्रमण फैलने और महिलाओं में प्रेषित होने की काफी आशंका रहती है। आम है
!! अमरीका में नवजात बच्चों का खतना !!
अमरीकी समाज का एक बड़ा वर्ग बेहतर स्वास्थ्य के लिए इस प्रथा को मानने लगा है। नेशनल हैल्थ एण्ड न्यूट्रिशन एक्जामिनेशन सर्वेज की ओर से अमरीका में 1999 से 2004 तक कराए गए सर्वे में 79 फीसदी पुरुषों ने अपना खतना करवाया जाना स्वीकार किया। नेशनल हॉस्पीटल डिस्चार्ज सर्वे के अनुसार अमरीका में 1999 में 65 फीसदी नवजात बच्चों का खतना किया गया। अमरीका के आर्थिक और सामाजिक रूप से सम्पन्न परिवारों में जन्में नवजात बच्चों में खतना ज्यादा पाया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 30 फीसदी पुरुषों का खतना हुआ है। सांसदों ने करवाया संसद में खतना यही नहीं एचआईवी की रोकथाम के लिए अफ्रीका के कई देशों में पुरुषों में खतना करवाने को बढ़ावा दिया जा रहा है।
!! जिम्बाब्वे में एचआईवी संक्रमण रोकने के लिए खतना शिविर !!
जिम्बाब्वे में एचआईवी संक्रमण रोकने के लिए चलाए गए एक अभियान के तहत जून 2012 में कई सांसदों ने संसद के भीतर खतना करवाया। इसके लिए संसद के भीतर एक अस्थायी चिकित्सा शिविर लगाया गया है।
समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार जिम्बाब्वे की दो मुख्य पार्टियों के कम-से-कम 60 सांसदों ने बारी-बारी से आकर चिकित्सकीय परामर्श लिया और फिर शिविर में जाकर परीक्षण करवाया।
अभियान की शुरुआत में बड़ी संख्या में सांसदों ने हिस्सा लेते हुए एचआईवी टेस्ट करवाते हुए इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए खतना करवाने का संकल्प लिया था।
मुसलमानों के साइंसी कारनामे
*मुसलमानों के लिए ज्ञान के क्या मायने हैं उसे कुरआन ने अपनी पहली ही आयत में स्पष्ट कर दिया था अतीत में मुसलमानों ने इसी आयत करीमा का पालन करते हुए वह स्थान प्राप्त कर लिया था जिस के बारे में आज कोई विचार नही कर सकता ,..
– मुसलमान ज्ञान के हर क्षेत्र में आगे थे चाहे उसका सम्बन्ध धार्मिक ज्ञान से हो या आधुनिक ज्ञान से ,
धार्मिक ज्ञान में वे मुफक्किर-ए-इस्लाम और वलीउल्लाह थे तो आधुनिक ज्ञान में उनकी गणना दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों में होती थी यही कारण था कि अल्लाह ने धार्मिक और आधुनिक ज्ञान के कारण उन्हें बुलंदियों पर बिठा दिया था ,..
*मुसलमानों ने विज्ञान के हर क्षेत्र में अपनी खिदमतों को अंजाम दिया है और विज्ञान को मजबूती प्रदान की है खुद कुरआन में 1000 आयत ऐसी है जिन का सम्बन्ध वैज्ञानिक संस्था से है , विज्ञान का कोई क्षेत्र ऐसा नही जिसमे मुसलमानों ने अपनी खिदमतों को अंजाम न दिया हो अगर रसायन (Chemistry) का इतिहास उठा कर देखो तो पता चलता है कि हम रसायन शास्त्री (Chemist) थे गणित (Mathematics) का इतिहास उठा कर देखो तो पता चलता है कि हम गणितज्ञ (Mathematician) थे , जीव बताती है कि हमे जीवविज्ञान में उच्च स्थान प्राप्त था लेकिन इन सबकी वज़ह मुसलमानों का इस्लाम से कुराआन से अल्लाह से जुड़ा होना था कोई साइंसदान हाफिज था तो कोई किसी मदरसे का कुल शोधकर्ता ,..
– तब हम तादाद में कम थे लेकिन ज्ञान के हुनर-ओ-फन में हमारा कोई सानी(competitor) नही था , हमारे ज्ञान व कला को देख कर विरोधी तक हमारी प्रशंसा करने के लिए मजबूर हो जाते थे , आज हम करोड़ो में हैं लेकिन ये फन हमारे हाथों से निकलता जा रहा है क्यूंकि हमारा सम्बन्ध अल्लाह और उसके रसूल से हटता जा रहा है –
*मुस्लिम वैज्ञानिकों की विज्ञान में अंजाम दी गयी सेवाओं का एक हिस्सा आपकी सेवा में-
# अल तूसी (खगोलशास्त्र) :
इनका पूरा नाम अल अल्लामा अबू जाफर मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन हसन अल तूसी है ये सातवीं सदी हिजरी के शुरू में तूस में पैदा हुए इनकी गणना इस्लाम धर्म के बड़े साइंसदानो में होती है इन्होने बहुत सारी किताबे लिखीं जिनमे सब से अहम “शक्ल उल किताअ” है , यह पहली किताब थी जिसने त्रिकोणमिति को खगोलशास्त्र से अलग किया ,..
– अल तूसी ने अपनी रसदगाह में खगोलीय टेबल बनाया जिस से यूरोप ने भरपूर फायदा उठाया अल तूसी ने बहुत से खगोलीय समस्याओ को हल किया और बत्लूम्स से ज्यादा आसान खगोलीय मानचित्र बनाया उन्ही की मेहनत और परिश्रम ने कूपर निकस को सूरज को सौर मण्डल का केंद्र करार देने में मदद दी इससे पहले पृथ्वी को ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता था ,..
– इन्होने आज के आधुनिक खगोल का मार्ग प्रशस्त किया इसके साथ उन्होंने ज्यामिति के द्रष्टिकोण में नये तथ्य शामिल किये,..
– मशहूर इतिहासकार शार्टन लिखता है -“तूसी इस्लाम के सब से महान वैज्ञानिक और सबसे बड़े गणितज्ञ थे
इसी मशहूर वैज्ञानिक ने त्रिकोणमिति की बुनियाद डाली और उससे सम्बंधित कई कारण भी बतलाये , खगोल विज्ञान की पुस्तकों में “अलतजकिरा अलनासरिया ” जिसे “तजकिरा फी इल्म नसख” के नाम से भी जाना जात है खगोल शास्त्र की एक मशहूर किताब है जिसमें इन्होने ब्रह्मांड प्रणाली में हरकत की महत्वता , चाँद का परिसंचरण (Rotation) और उसका हिसाब , धरती पर खगोलीय प्रभाव , कोह, रेगिस्तान , समुन्द्र, हवाएं और सौर प्रणाली के सभी विवरण स्पष्ट कर दिए, तूसी ने सूर्य और चंद्रमा की दूरी को भी स्पष्ट किया और ये भी बताया कि रात और दिन कैसे होते हैं ,…
* जाबिर बिन हियान (रसायन शास्त्री)
जाबिर बिन हियान जिन्हें इतिहास का पहला रसायनशास्त्री कहा जाता है उसे पश्चिमी देश में गेबर (geber) के नाम से जाना जाता है ,इन्हें रसायन विज्ञान का संस्थापक माना जाता है ,इनका जन्म 733 ईस्वी में तूस में हुई थी ,जाबिर बिन हियान ने ही एसिड की खोज की इन्होने एक ऐसा एसिड भी बनाया जिससे सोने को भी पिघलाना मुमकिन था जाबिर बिन हियान पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पदार्थ को तीन भागों वनस्पति ,पशु और ,खनिज में विभाजित किया |
इसी मुस्लिम साइंसदान ने रासायनिक यौगिकों जैसे – कार्बोनेट, आर्सेनिक, सल्फाइड की खोज की नमक के तेजाब, नाइट्रिक एसिड, शोरे के तेजाब, और फास्फोरस से जाबिर बिन हियान ने ही दुनिया को परिचित कराया ,जाबिर बिन हियान ने मोम जामा और खिजाब बनाने का तरीका खोजा और यह भी बताया कि वार्निश के द्वारा लोहे को जंग से बचाया जा सकता है |
– जाबिर बिन हियान ने 200 से अधिक पुस्तकें रचना में लायीं जिनमें किताब अल रहमा ,किताब-उल-तज्मिया , जैबक अल शर्की , किताब-उल-म्वाजीन अल सगीर को बहुत लोकप्रियता प्राप्त है जिनका अनुवाद विभिन्न भाषाओँ में हो चुका है
* अल जज़री –
अल जजरी अपने समय के महान वैज्ञानिक थे ,इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इन्होने अपार सेवाएँ प्रदान की ,इस महान वैज्ञानिक ने अपने समय में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इन्कलाब बरपा कर दिया था इनका सबसे बड़ा कारनामा ऑटोमोबाइल इंजन की गति का मूल स्पष्ट करना था और आज उन्हीं के सिद्धांत पर रेल के इंजन और अन्य मोबाइलों का आविष्कार संभव हो सका ,अल-जजरी ने ही सबसे पहले दुनिया को रोबोट का मंसूबा अता किया
इन्होने ही पानी निकालने वाली मशीन का आविष्कार किया और कई घड़ियों की भी खोज की जिनमे हाथी घड़ी,कैसल घड़ी,मोमबत्ती घड़ी,और पानी घड़ी भी शामिल हैं |
* इब्न अल हैशम –
इब्न अल हैशम का पूरा नाम अबू अली अल हसन बिन अल हैशम है ये ईराक के एतिहासिक शहर बसरा में 965 ई में पैदा हुए , इन्हें भौतिक विज्ञान , गणित, इंजीनियरिंग और खगोल विज्ञान में महारत हासिल थी , इब्न अल हैशम अपने दौर में नील नदी के किनारे बाँध बनाने चाहते थे ताकि मिश्र के लोगों को साल भर पानी मिल सके लेकिन अपर्याप्त संसाधन के कारण उन्हें इस योजना को छोड़ना पड़ा , लेकिन बाद में उन्हीं की इस योजना पर उसी जगह एक बाँध बना जिसे आज असवान बाँध के नाम से जाना जाता है |
– अतीत में माना जाता था कि आँख से प्रकाश निकल कर वस्तुओं पर पड़ता है जिससे वह वस्तु हमें दिखाई देती है लेकिन इब्न अल हैशम ने अफलातून और कई वैज्ञानिकों के इस दावे को गलत शाबित कर दिया और बताया कि जब प्रकाश हमारी आँख में प्रवेश करता है तब हमे दिखाई देता है इस बात को शाबित करने के लिए इब्न अल हैशम को गणित का सहारा लेना पड़ा , इब्न अल हैशम ने प्रकाश के प्रतिबिम्ब और लचक की प्रकिया और किरण के निरक्षण से कहा कि जमीन की अन्तरिक्ष की उंचाई एक सौ किलोमीटर है इनकी किताब “किताब अल मनाज़िर” प्रतिश्रवण के क्षेत्र में एक उच्च स्थान रखती है,उनकी प्रकाश के बारे में की गयी खोजें आधुनिक विज्ञान का आधार बनी , इब्न-अल-हैशम ने आँख पर एक सम्पूर्ण रिसर्च की और आँख के हर हिस्से को पूरे विवरण के साथ अभिव्यक्ति किया |
– जिसमें आज की आधुनिक साइंस भी कोई बदलाव नही कर सकी है
इन्होने आँख का धोखा या भ्रम को खोजा जिसमे एक विशेष परिस्थिति में आदमी को दूर की चीजें पास और पास की दूर दिखाई देती हैं ,प्रकाश पर इब्न अल हैशम ने एक परिक्षण किया जिसके आधार पर अन्य वैज्ञानिकों ने फोटो कैमरे का आविष्कार किया उनका कहना था कि “अगर किसी अंधेरे कमरे में दीवार के ऊपर वाले हिस्से से एक बारीक छेंद के द्वारा धूप की रौशनी गुजारी जाये तो उसके उल्ट अगर पर्दा लगा दिया जाये तो उस पर जिन जिन वस्तुओं का प्रतिबिम्ब पड़ेगा वह उल्टा होगा ” उन्होंने इसी आधार पर पिन होल कैमरे का आविष्कार किया ,..
– इब्न अल हैशम ने जिस काम को अंजाम दिया उसी के आधार पर बाद में गैलीलियो, कापरनिकस और न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों ने काम किया, इब्न अल हैशम से प्रभावित होकर गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार किया – इब्न अल हैशम की वैज्ञानिक सेवाओं ने पिछले प्रमुख वज्ञानिकों के चिराग बुझा दिए ,..
– इन्होने इतिहास में पहली बार लेंस की आवर्धक पावर की खोज की , इब्न अल हैशम ने ही यूनानी दृष्टि सिद्धांत (Nature of Vision) को अस्वीकार करके दुनिया को आधुनिक दृष्टि दृष्टिकोण से परिचित कराया ,..
– जो चीजें इब्न अल हैशम ने खोजी पश्चिमी देशों ने हमेशा उन पर पर्दा डालने की कोशिस की , इब्न अल हैशम ने 237 किताबें लिखीं ,.. यही कारण है कि अबी उसैबा ने कहा कि वो कशीर उत तसनीफ (अत्यधिक पुस्तक लिखने वाले) थे ,..
* अबुलकासिस (सर्जरी का संस्थापक)
अबू कासिम बिन खल्फ बिन अल अब्बास अल जहरवी 936 में पैदा हुए मगरिब (पश्चिम) में इन्हें अबुलकासिस (Abulcasis) के नाम से जाना जाता है,
– इनकी पुस्तक “किताब अल तसरीफ” चिकित्सा के क्षेत्र की महान पुस्तक है जिसमें चिकित्सा विज्ञान के सभी कलाओं का उल्लेख किया गया है अल जहरवी ने ही सर्जरी की खोज की और इतिहास में पहली बार सर्जरी का प्रयोग कर दुनिया को इस नये फन से वाकिफ कराया ,..
* अल-किंदी –
इनका पूरा नाम याकूब इब्न इशहाक अल-किंदी है,.. इनके पिता कूफा के गवर्नर थे इन्होने प्रारंभिक शिक्षा कूफ़ा ही में प्राप्त बाद में बगदाद चले गये ,..
– इनकी गणना इस्लाम के सर्वोच्च हुकमा और दार्शनिकों में होती है,.. इन्हें गणित , चिकित्सा और खगोल विज्ञान में महारत हासिल थी ,..
– अलकिंदी ने ही इस्लामी दुनिया को हकीम अरस्तू के ख्यालों से परिचित कराया और गणित, चिकित्सा विज्ञान, दर्शन, और भूगोल पर 241 उत्कृष्ट पुस्तकें लिखी जिनमें उनकी पुस्तक “बैत-उल-हिक्मा” (House of Wisdom) को बहुत लोकप्रियता प्राप्त है
* अल-बैरूनी –
– अबू रेहान अल बैरूनी का पूरा नाम अबू रेहान मुहम्मद इब्न अहमद अल बैरूनी है,.. ये 9 सितंम्बर 973 ई को ख्वारिज्म के एक गाँव बैरून में पैदा हुए, ये बहुत बड़े शोधकर्ता और वैज्ञानिक थे |
– अल बैरूनी ने गणित , इतिहास के साथ भूगोल में ऐसी पुस्तकें लिखीं हैं जिन्हें आज तक पढ़ा जाता है, उनकी पुस्तक “किताब-अल-हिंद” को बहुत लोकप्रियता प्राप्त है, इस पुस्तक में अल बैरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक विश्वासों और इतिहास के साथ भारतीय भौगोलिक स्थिति बड़ी ही तहकीक से लिखें हैं ,..
– बैरूनी ने कई साल हिन्दुस्तान में रह कर संस्कृत भाषा सीखी और हिन्दुओं के ज्ञान में ऐसी महारत हासिल की कि ब्राह्मण भी आश्चर्य करने लगे ,..
– अल बैरूनी की लिखी पुस्तक “कानून मसूद” खगोल विज्ञान और गणित की बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक है इस पुस्तक मन ऐसे साक्ष्य पेश किये गये हैं जो और कहीं नहीं मिलते,..
– स्वरूप विज्ञान और गणित में अल बैरूनी को महारत हासिल थी, इन्होने भौतिकी, इतिहास, गणित के साथ-साथ धर्म, रसायन , और भूगोल पर 150 से अधिक पुस्तकें लिखी |
– बैरूनी ने ही सब से पहले पृथ्वी को मापा था , अल बैरूनी ने आज से 1000 साल पहले महमूद गज़नवी के दौर में मौजूदा पाकिस्तान आने वाले उत्तरी पंजाब के शहर पिंड दादन खान से 22 किलोमीटर दूर स्थित नंदना में रुके , इसी प्रवास के दौरान इन्होने पृथ्वी की त्रिज्या को ज्ञात किया जो आज भी सिर्फ एक प्रतिशत के कम अंतर के साथ दुरुस्त है ,..
– सभी वैज्ञानिक इस बात से हैरत में हैं कि अल – बैरूनी ने आज से 1000 साल पहले जमीन की माप इतनी सटीकता के साथ कैसे कर ली ?
– अल-बैरूनी ने ही बताया कि पृथ्वी अपनी अक्ष (Axis) पर घूम रही है और ये भी स्पष्ट किया फव्वारों का पानी नीचे से ऊपर कैसे जाता है ,..
* इब्न सीना –
– इब्न सीना का पूरा नाम “अली अल हुसैन बिन अब्दुल्लाह बिन अल-हसन बिन अली बिन सीना” है | इनकी गणना इस्लाम के प्रमुख डाक्टर और दर्शिनिकों में होती है पश्चिम में इन्हें अवेसेन्ना (Avicenna) के नाम से जाना जाता है ये इस्लाम के बड़े विचारकों में से थे , इब्न सीना ने 10 साल की उम्र में ही कुरआन हिफ्ज़ कर लिया था |
– बुखारा के सुलतान नूह इब्न मंसूर बीमार हो गये,.. किसी हकीम की कोई दवाई कारगर शाबित न हुई, 18 साल की उम्र में इब्न सीना ने उस बीमारी का इलाज़ किया जिस से तमाम नामवर हकीम तंग आ चुके थे ,..
– इब्न सीना की दवाई से सुल्तान-इब्न-मंसूर स्वस्थ हो गये , सुल्तान ने खुश हो कर इब्न सीना को पुरस्कार रूप में एक पुस्तकालय खुलवा कर दिया,..
– अबू अली सीना की स्मरण शक्ति बहुत तेज़ थी उन्होंने जल्द ही पूरा पुस्तकालय छान मारा और जरूरी जानकारी एकत्र कर ली, फिर 21 साल की उम्र में अपनी पहली किताब लिखी |
– अबू अली सीना ने 21 बड़ी और २४ छोटी किताबें लिखीं लेकिन कुछ का मानना है कि उन्होंने 99 किताबों की रचना की |
– उनकी गणित पर लिखी 6 पुस्तकें मौजूद हैं जिनमे “रिसाला अल-जराविया , मुख्तसर अक्लिद्स, अला रत्मातैकी, मुख़्तसर इल्म-उल-हिय , मुख्तसर मुजस्ता , रिसाला फी बयान अला कयाम अल-अर्ज़ फी वास्तिससमा (जमीन की आसमान के बीच रहने की स्थिति का बयान )” शामिल हैं ,..
– इनकी किताब “किताब अल कानून (canon of medicine)” चिकित्सा की एक मशहूर किताब है जिनका अनुवाद अन्य भाषाओँ में भी हो चुका है,. उनकी ये किताब 19वीं सदी के अंत तक यूरोप की यूनिवर्सिटीयों में पढाई जाती रही |
– अबू अली सीना की वैज्ञानिक सेवाओं को देखते हुए यूरोप में उनके नाम से डाक टिकट जारी किये गये हैं
आज हमें स्कूल और कॉलेजों में बताया जाता है कि – “मुसलमानों ने जब कुस्तुन्तुनिया को अपने कब्जे में लिया तो वहां साइंस के और ज्ञान विज्ञान के तमाम स्त्रोत मौजूद थे लेकिन मुसलमानों के लिए इन सब की कोई अहमियत न थी इस लिए मुसलमानों ने उनको तबाह बर्बाद कर डाला” इस झूठे इतिहास को पढ़ा कर मुल्क हिन्दुस्तान और दुनिया के तमाम मुल्क के शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थीयों कि मानसिकता को बदला जाता है और हकीकत को पैरों तले कुचल दिया जाता है – और मुसलमान भी इसी झूठे इतिहास को पढ़ता रहता है क्यूंकि उसे असलियत का पता नही होता उसे ये इल्म नही होता कि हमने बहर-ए-जुल्मात में घोड़े दौडाएं हैं हमने समन्दरों के सीने चाक किये हैं हम ही ने परिंदों की तरह इंसान को परवाज़ करना सिखाया है, हम ही ने साइंस को महफूज़ किया है | ,..
– बड़ी अजीब बात है कि मुसलमानों ने अपना इतिहास भुला दिया, उसे वह हुनर तो छोड़ो वह नाम ही याद नही जिनकी वज़ह से आधुनिक विज्ञान ने इतनी प्रगति की है , मुसलमान अतीत में एक सफल इंजिनियर भी रहे, एक चिकित्सक भी रहे, एक उच्च सर्जन भी रहे हैं, कभी इब्न-उल-हैशम बन कर प्रतिश्रवण के सिंहासन पर काबिज हो गये तो कभी जाबिर बिन हियान के रूप में रसायन विज्ञान का बाबा आदम बन कर सामने आये !
* कोई भी धर्म की कोई एक सर्वमान्य परिभाषा आज तक तय नहीं है,जबकि इस्लाम की परिभाषा तय है,
2. कोई और धर्म के लोगों लिए कर्तव्य और अकर्तव्य कुछ भी निश्चित नहीं है,एक आदमी अंडा तक नहीं छूता और अघोरी इंसान की लाश खाते हैं,जबकि दोनों ही एक धर्म के हैं,जबकि एक मुसलमान के लिए भोजन में हलाल हराम निश्चित है,
3. कोई और धर्म में मर्द औरत के लिए यह निश्चित नहीं है,कि वे अपने शरीर को कितना ढकें ?, एक अपना शरीर ढकता है,और दूसरा पूरा नंगा ही घूमता है,जबकि मुस्लिम मर्द औरत के लिए यह निश्चित है कि वे अपने शरीर का कितना अंग ढकें ?
4. कोई और धर्म के अनुयायी के लिए उपासना करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि ईश्वर के अस्तित्व को नकारने के बाद
भी लोग उसी धर्म के कहलाते है!जबकि मुसलमान के लिए इबादत करना अनिवार्य है,और ईश्वर का इन्कार करने के बाद उसे वह मुस्लिम नहीं रह जाता!
5. कई धर्मों में आज भी देवदासियां रखी जाती हैं,और औरतों द्वारा नाच गाना होता है, इसे ईश्वर का समीप पहुंचने का माध्यम माना जाता है,जबकि मस्जिदों में औरतों का तो क्या मर्दों का भी नाचना गाना गुनाह और,
हराम है,और इसे ईश्वर से दूर करने वाला माना जाता है!
6. कोई धर्म ब्याज लेने से नहीं रोकता जिसकी वजह से आज ग़रीब किसान मज़दूर लाखों की तादाद में मर रहे हैं,जबकि इस्लाम में ब्याज लेना हराम है!
7. कोई धर्म में दान देना अनिवार्य नहीं है, जो देना चाहे, दे और जो न देना चाहे तो वह न दे और कोई चाहे तो दान में विश्वास ही न रखे जबकि इस्लाम में धनवान पर अनिवार्य है, कि वह हर साल ज़रूरतमंद ग़रीबों को अपने माल में से 2.5 प्रतिशत ज़कात अनिवार्य रूप से दे इसके अलावा फ़ितरा आदि देने के लिए भी इस्लाम में व्यवस्था की गई है!
8. हर धर्म में धर्म के उच्च जाति के व्यक्ति को दान‘ देने की ज़बर्दस्त प्रेरणा दी गई है’जबकि पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह व्यवस्था दी है’ कि हमारी नस्ल में से किसी को भी सदक़ा-ज़कात मत देना दूसरे ग़रीबों को देना हमारे लिए सदक़ा-ज़कात लेना हराम है!
अब आप ही तय करे के इस्लाम दुनिया का सब से बेहतर मजहब है,या नही जो इंसानों को सही राह दिखाता है,जीस में हर चीज के कानून कायदे तय कीए गए है!
हाल ही में भारत में प्रकाशित होने वाली पुस्तक "* कल्कि अवतार *" दुनिया भर हलचल मचा दी है। इस किताब में यह बताया गया है कि हिन्दुओं की धार्मिक किताबों में जिस * का कल्कि अवतार * चर्चा है 'वह * अंतिम रसूल मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * बन अब्दुल्ला हैं।
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इस पुस्तक के लेखक अगर कोई मुसलमान होगा तो वह अब तक जेल में होता और इस पुस्तक पर प्रतिबंध लग चुकी होती मगर लेखक पंडित वेद प्रकाश ब्राह्मण हिंदू हैं और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़े हैं। वे संस्कृत के प्रमुख शोधकर्ता और विद्वान हैं। उन्होंने अपनी इस शोध को देश के आठ प्रसिद्ध अग्रणी शोधकर्ताओं पंडितों के सामने पेश किया है जो अपने क्षेत्र में प्रामाणिक गिरा दिया जाता है। इन पंडितों ने किताब के ध्यानपूर्वक अध्ययन और अनुसंधान के बाद यह स्वीकार किया है कि किताब में पेश किए गए हवाले श्रेणियाँ प्रामाणिक और सही हैं। उन्होंने अपने शोध का नाम "* कल्कि अवतार *" यानी सभी ब्रह्मांड के नेता रखा है।
हिन्दुओं की महत्वपूर्ण धार्मिक पुस्तकों में एक महान नेता का उल्लेख है। जिसे "* कल्कि अवतार *" का नाम दिया गया है इसका अर्थ * हज़रत मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * जो मक्का में पैदा हुए। इसलिए सभी हिन्दू जहाँ भी हों, उन्हें किसी कल्कि अवतार का इंतजार नहीं करना है, बल्कि सिर्फ इस्लाम स्वीकार करना है, और अंतिम * दूत अल्लाह आशीर्वाद * नक्शेकदम पर चलना है जो बहुत पहले अपने मिशन के पूरा होने के बाद इस दुनिया से नेविगेट गए हैं। अपने इस दावे की दलील में पण्डित वेद प्रकाश ने हिन्दुओं पवित्र धार्मिक पुस्तक "* वेद *" निम्नलिखित संबंध तर्क के साथ पेश किए हैं।1.📓 "वेद" पुस्तक में लिखा है कि
"* कल्कि अवतार *" भगवान काआख़री अवतार होगा जो पूरी दुनिया कोराज्यह दिखाए। इन शब्दों कअहवालह देने के बाद पंडित ोीदपरकाश यह कहते हैं कि यह सिर्फ * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के मामले में सही हो सकता है।
2.📓 "भारत" की भविष्यवाणी के अनुसार "* कल्कि अवतार *" एक द्वीप में पैदा होगा और यह अरब क्षेत्र है, जैसे जआभरة अल अरब कहा जाता है।
3। 📓मकदस किताब में लिखा है कि
"* कल्कि अवतार *" पिता का नाम '' * विष्णु भगत * "और मां का नाम" * सोमानब * "होगा। संस्कृत भाषा में "* विष्णु *" * अल्लाह * के अर्थ में प्रयुक्त होता है और "* भगत *" के अर्थ दास दास हैं। इसलिए अरबी में
"* विष्णु भगत *" का मतलब अल्लाह का बंदा यानी "* अब्दुल्ला *" हे.सनस्क्रत में "* सोमानब *" का मतलब शांति है कि अरबी भाषा में "* आमना *" होगा और अंतिम रसूल) * * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * (पिता का नाम * अब्दुल्ला * और मां का नाम * आमना * है।
4.📓ोीद किताब में लिखा है कि "* कल्कि अवतार *" जैतून और खजूर उपयोग करेगा। ये दोनों फल * हुज़ूर अकरम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम * को मरगोब थे। वे अपने दृश्य में सच्चा और ईमानदार हो जाएगा। मक्का में * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के लिए * सादिक * और * अमीन * के उपनाम इस्तेमाल किए जाते थे।5.📓 "* वेद *" के अनुसार "* कल्कि अवतार *" अपने देश के प्रतिष्ठित परिवार से होगा और यह भी * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के बारे में सच साबित होता है कि आप कुरैश के सुप्रसिद्ध कबीले से थे, जो मक्का में बेहद सम्मान था।
6.📓हमारी किताब कहती है कि भगवान "* कल्कि अवतार *" अपने विशेष दूत के माध्यम से एक गुफा में पढ़ाएगा। इस मामले में यह भी सही है कि * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * मक्का की वह एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्हें अल्लाह तआला ने गुफा हीरा में अपने विशेष दूत हज़रत गेब्रियल के माध्यम से शिक्षा दी।
7.📓 हमारे मूल आस्था के अनुसार भगवान "* कल्कि अवतार *" को एक तेज घोड़ा अनुदान देगा, जिस पर सवार होकर वह जमीन और सात आसमानों की सैर कर आएगा। * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के "* पारदर्शी * पर मेराज का सफर" क्या यह साबित नहीं करता है?
8.📓 हमें विश्वास है कि भगवान * "कल्कि अवतार *" की बहुत मदद मिलेगी और यह बहुत शक्ति प्रदान करेंगे। हम जानते हैं कि जंगे बद्र में * अल्लाह * ने * मुहम्मद अल्लाह आशीर्वाद * के स्वर्गदूतों से मदद फ़रमाई।9। 📓हमारी सारी धार्मिक पुस्तकों के अनुसार "* कल्कि अवतार *" घुड़सवारी, तेज शैली और तलवार मैथुन में विशेषज्ञ है।
पंडित वेद प्रकाश ने उस पर जो टिप्पणी की है। वे महत्वपूर्ण और विचारणीय है। वह लिखते हैं कि घोड़ों, तलवारों और भालों का जमाना बहुत पहले गुजर चकाहे.ाब टैंक, तोपों और मिसाइल जैसे हथियार इस्तेमाल में हैं। इसलिए यह समझदारी नहीं है। हम तलवार, तीर और बरछयों सशस्त्र "* कल्कि अवतार *" का इंतजार करते रहीं.हकीकत यह है कि पवित्र पुस्तकों में "* कल्कि अवतार *" स्पष्ट संकेतक। * हज़रत मुहम्मद अल्लाह व ोसल * काम के बारे में हैं उन सभी मुकाबला कला में सही कौशल रखते थे। टैंक तोपों और मिसाइल के इस दौर में घुड़सवार, तेग डाले और तेरा न्दाज़ कल्कि अवतार का इंतजार निरी मूर्खता है।
* जानीये – क्यों हराम है सुअर का मांस ….
इस्लाम में सुअर का माँस खाना वर्जित(हराम) होने की बात से सभी परिचित हैं। निम्नलिखित तथ्यों द्वारा इस प्रतिबन्ध की व्याख्या की गई है।
1). सुअर के मांस का निषेध पवित्र कुरआन में ।
पवित्र क़ुरआन में कम से कम चार स्थानों पर सुअर का मांस खाने की मनाही की गई है। पवित्र क़ुरआन की सूरह 2 आयत 173, सूरह 5 आयत 3, सूरह 6 आयत 145, सूरह 16 आयत 115 में इस विषय पर स्पष्ट आदेश दिये गए है।
पवित्र कुरआन की निम्न आयत इस बात को स्पष्ट करने के लिए काफी है, कि सुअर का मांस क्यों हराम किया गया है।
» तुम्हारे लिए (खाना) हराम (निषेध) किया गया मुर्दार, खून, सुअर का मांस और वह जानवर जिस पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो। – (कुरआन 5:3)
इस संदर्भ में पवित्र क़ुरआन की सभी आयतें मुसलमानों को संतुष्ट करने हेतु पर्याप्त है, कि सुअर का मांस उनके लिए हराम है।
2). बाइबल ने भी सुअर का मांस खाने की मनाही की है।
संभवतः ईसाई लोग अपने धर्मग्रंथ में तो विश्वास रखते ही होंगे।
बाइबल में सुअर का मांस खाने की मनाही इस प्रकार की गई है।
» और सुअर को, क्योंकि उसके पाँव अलग और चिरे हुए हैं। पर वह जुगाली (Rumination/पागुर) नहीं करता, वह भी तुम्हारे लिये अपवित्र है, तुम उनका मांस न खाना, उनकी लाशो को न छूना, वह तुम्हारे लिए अपवित्र हैं। – (ओल्ड टेस्टामेंट, अध्याय 11, 7 से 8)
कुछ ऐसे ही शब्दों के साथ ओल्ड टेस्टामेंट की पाँचवी पुस्तक में सुअर खाने से मना किया गया है।
» और सुअर तुम्हारे लिए इस कारण से अपवित्र है कि इसके पाँव तो चिरे हुए हैं परन्तु वह जुगाली नहीं करता, तुम न तो उनका माँस खाना और न उनकी लाशों को हाथ लगाना। – (ओल्ड टेस्टामेंट, अध्याय 14 : 8)
3). सुअर के मांसाहार से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं।
अब आईए ! ग़ैर मुस्लिमों और ईश्वर को न मानने वालों की ओर । उन्हें तो बौद्धिक तर्क, दर्शन और विज्ञान के द्वारा ही संतुष्ट किया जा सकता है।
सुअर का मांस खाने से कम से कम 70 विभिन्न रोग लग सकते हैं। एक व्यक्ति के उदर में कई प्रकार के कीटाणु हो सकते हैं, जैसे राउण्ड वर्म, पिन वर्म और हुक वर्म इत्यादि। उनमें सबसे अधिक घातक टाईनिया सोलियम (Taenia Soliam) कहलाता है। सामान्य रूप से इसे टेपवर्म या फीताकृमि भी कहा जाता है। यह बहुत लम्बा होता है और आंत में रहता है। इसके अण्डे रक्त प्रवाह में मिलकर शरीर के किसी भी भाग में पहुंच सकते हैं। यदि यह मस्तिष्क तक जा पहुंचे तो स्मरण शक्ति को बहुत हानि पहुंचा सकते हैं। यदि दिल में प्रवेश कर जाए तो दिल का दौरा पड़ सकता है। आँख में पहुंच जाए तो अंधा कर सकते हैं। जिगर में घुसकर पूरे जिगर को नष्ट कर सकते हैं। इसी प्रकार शरीर के किसी भाग को हानि पहुंचा सकते हैं। एक अन्य अत्यन्त घातक कृमि (कीड़ा) Trichura Tichurasis है ।
यह एक सामान्य भ्रांति है कि यदि सुअर के मांस को भली भांति पकाया जाए तो इन रोगाणुओं के अण्डे नष्ट हो जाएंगे। अमरीका में किये गए अनुसंधान के अनुसार ट्राईक्योरा से प्रभावित 24 व्यक्तियों में 20 ऐसे थे जिन्होंने सुअर का माँस अच्छी तरह पका कर खाया था। इससे पता चला कि सुअर का मांस अच्छी तरह पकाने पर सामान्य तापमान पर भी उसमें मौजूद रोगाणु नहीं मरते जो भोजन पकाने के लिए पर्याप्त माना जाता है।
4). सुअर के मांस में चर्बी बढ़ाने वाला तत्व होता है।
सुअर के मांस में ऐसे तत्व बहुत कम होते हैं, जो मांसपेशियों को विकसित करने के काम आते हों। इसके विपरीत यह चर्बी से भरपूर होता है। यह वसा रक्त नलिकाओं में एकत्र होती रहती है, और अंततः अत्याधिक दबाव (हाइपर टेंशन) ओर हृदयघात का कारण बन सकती है। अतः इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि 50 प्रतिशत से अधिक अमरीकियों को हाइपर टेंशन का रोग लगा हुआ है।
5). सुअर संसार के समस्त जानवरों से अधिक घिनौना जीव है।
सुअर संसार में सबसे अधिक घिनौना जानवर है। यह गंदगी, मैला इत्यादि खाकर गुज़ारा करता है। मेरी जानकारी के अनुसार यह बेहतरीन सफ़ाई कर्मचारी है, जिसे ईश्वर ने पैदा किया है। वह ग्रामीण क्षेत्र जहाँ शौचालय आदि नहीं होते और जहाँ लोग खुले स्थानों पर मलमूत्र त्याग करते हैं, वहाँ की अधिकांश गन्दगी यह सुअर ही साफ़ करते हैं।
कुछ लोग कह सकते हैं कि आस्ट्रेलिया जैसे उन्नत देशों में सुअर पालन स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में किया जाता है। परन्तु इतनी सावधानी के बावजूद कि जहाँ सुअरों को बाड़ों में अन्य पशुओं से अलग रखा जाता है, कितना ही प्रयास कर लिया जाए कि उन्हें स्वच्छ रखा जा सके किन्तु यह सुअर अपनी प्राकृतिक प्रवत्ति में ही इतना गन्दा है कि उसे अपने साथ के जानवरों का मैला खाने में ही आनन्द आता है।
[30/01, 7:18 PM] +91 94142 17508: खतना इन्सान को कई बड़ी बीमारियों से बचाता है जानिए …
!! दुनियाभर में हुए शोधों ने यह साबित किया है कि खतना इंसान की कई बड़ी बीमारियों से हिफाजत करता है।
इस समय खतना (सुन्नत) यूरोपीय देशों में बहस का विषय बना हुआ है। खतने को लेकर पूरी दुनिया में एक जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। इस पर विवाद तब शुरू हुआ जब जर्मनी के कोलोन शहर की जिला अदालत ने अपने एक फैसले में कहा कि शिशुओं का खतना करना उनके शरीर को कष्टकारी नुकसान पहुंचाने के बराबर है। फैसले का जबर्दस्त विरोध हुआ। इस मुद्दे का अहम पहलू हाल ही आया अमरीका के शिकागो स्थित बालरोग पर शोध करने वाली संस्था ‘द अमरीकन एकेडेमी ऑफ पीडीऐट्रिक्स’ का ताजा बयान। में कहा है कि नवजात बच्चों में किए जाने वाले खतना या सुन्नत के सेहत के लिहाज से बड़े फायदे हैं। सच भी है कि समय-समय पर दुनियाभर में हुए शोधों ने यह साबित किया है कि खतना इंसान की कई बड़ी बीमारियों से हिफाजत करता है।
खतना एक शारीरिक शल्यक्रिया है जिसमें आमतौर पर मुसलमान नवजात बच्चों के लिंग के ऊपर की चमड़ी काटकर अलग की जाती है।
!! वैज्ञानिकों ने दिए सबूत !!
शिकागो स्थित बालरोग चिकित्सकों के इस बयान का आधार वैज्ञानिक सबूत हैं जिनके आधार पर यह साफतौर पर कहा जा सकता है कि जो बच्चे खतने करवाते हैं, उनमें कई तरह की बीमारियां होने की आशंका कम हो जाती है। इनमें खासतौर पर छोटे बच्चों के यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाले इंफेक्शन, पुरुषों के गुप्तांग संबंधी कैंसर, यौन संबंधों के कारण होने वाली बीमारियां, एचआईवी और सर्वाइकल कैंसर का कारक ह्युमन पैपिलोमा वायरस यानि एचपीवी शामिल हंै।
एकेडेमी उन अभिभावकों का समर्थन करता है जो अपने बच्चे का खतना करवाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि खतना किए गए पुरुषों में संक्रमण का जोखिम कम होता है क्योंकि लिंग की आगे की चमड़ी के बिना कीटाणुओं के पनपने के लिए नमी का वातावरण नहीं मिलता है.
!! एड्स और गर्भाशय कैंसर से हिफाजत !!
महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का कारण ह्युमन पैपिलोमा वायरस होता है। यह वायरस लिंग की उसी चमड़ी के इर्द-गिर्द पनपता है जो संभोग के दौरान महिलाओं में प्रेषित हो जाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में अप्रेल 2002 में प्रकाशित एक आर्टिकल का सुझाव था कि खतने से महिला गर्भाशय कैंसर को बीस फीसदी तक कम
किया जा सकता है। खतने से एचआईवी और एड्स से हिफाजत होती है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के ही मई 2000 के एक आर्टिकल में उल्लेख था कि खतना किए हुए पुरुष में एचआईवी संक्रमण का खतरा आठ गुना कम होता है। हजार में से एक पुरुष लिंग कैंसर का शिकार हो जाता है लेकिन खतना इंसान की इस बीमारी से पूरी तरह हिफाजत करता है।
नवंबर 2000 में बीबीसी टेलीविजन ने यूगांडा की दो जनजातीय कबीलों पर आधारित एक रिपोर्ट प्रसारित की। इसके मुताबिक उस कबीले के लोगों में एड्स नगण्य पाया गया जो खतना करवाते थे, जबकि दूसरे कबीले के लोग जो खतना नहीं करवाते थे, उनमें एड्स के मामले ज्यादा पाए गए। इस कार्यक्रम में बताया गया कि कैसे लिंग के ऊपर चमड़ी जो खतने में हटाई जाती है, उसमें संक्रमण फैलने और महिलाओं में प्रेषित होने की काफी आशंका रहती है। आम है
!! अमरीका में नवजात बच्चों का खतना !!
अमरीकी समाज का एक बड़ा वर्ग बेहतर स्वास्थ्य के लिए इस प्रथा को मानने लगा है। नेशनल हैल्थ एण्ड न्यूट्रिशन एक्जामिनेशन सर्वेज की ओर से अमरीका में 1999 से 2004 तक कराए गए सर्वे में 79 फीसदी पुरुषों ने अपना खतना करवाया जाना स्वीकार किया। नेशनल हॉस्पीटल डिस्चार्ज सर्वे के अनुसार अमरीका में 1999 में 65 फीसदी नवजात बच्चों का खतना किया गया। अमरीका के आर्थिक और सामाजिक रूप से सम्पन्न परिवारों में जन्में नवजात बच्चों में खतना ज्यादा पाया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 30 फीसदी पुरुषों का खतना हुआ है। सांसदों ने करवाया संसद में खतना यही नहीं एचआईवी की रोकथाम के लिए अफ्रीका के कई देशों में पुरुषों में खतना करवाने को बढ़ावा दिया जा रहा है।
!! जिम्बाब्वे में एचआईवी संक्रमण रोकने के लिए खतना शिविर !!
जिम्बाब्वे में एचआईवी संक्रमण रोकने के लिए चलाए गए एक अभियान के तहत जून 2012 में कई सांसदों ने संसद के भीतर खतना करवाया। इसके लिए संसद के भीतर एक अस्थायी चिकित्सा शिविर लगाया गया है।
समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार जिम्बाब्वे की दो मुख्य पार्टियों के कम-से-कम 60 सांसदों ने बारी-बारी से आकर चिकित्सकीय परामर्श लिया और फिर शिविर में जाकर परीक्षण करवाया।
अभियान की शुरुआत में बड़ी संख्या में सांसदों ने हिस्सा लेते हुए एचआईवी टेस्ट करवाते हुए इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए खतना करवाने का संकल्प लिया था।
मुसलमानों के साइंसी कारनामे
*मुसलमानों के लिए ज्ञान के क्या मायने हैं उसे कुरआन ने अपनी पहली ही आयत में स्पष्ट कर दिया था अतीत में मुसलमानों ने इसी आयत करीमा का पालन करते हुए वह स्थान प्राप्त कर लिया था जिस के बारे में आज कोई विचार नही कर सकता ,..
– मुसलमान ज्ञान के हर क्षेत्र में आगे थे चाहे उसका सम्बन्ध धार्मिक ज्ञान से हो या आधुनिक ज्ञान से ,
धार्मिक ज्ञान में वे मुफक्किर-ए-इस्लाम और वलीउल्लाह थे तो आधुनिक ज्ञान में उनकी गणना दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों में होती थी यही कारण था कि अल्लाह ने धार्मिक और आधुनिक ज्ञान के कारण उन्हें बुलंदियों पर बिठा दिया था ,..
*मुसलमानों ने विज्ञान के हर क्षेत्र में अपनी खिदमतों को अंजाम दिया है और विज्ञान को मजबूती प्रदान की है खुद कुरआन में 1000 आयत ऐसी है जिन का सम्बन्ध वैज्ञानिक संस्था से है , विज्ञान का कोई क्षेत्र ऐसा नही जिसमे मुसलमानों ने अपनी खिदमतों को अंजाम न दिया हो अगर रसायन (Chemistry) का इतिहास उठा कर देखो तो पता चलता है कि हम रसायन शास्त्री (Chemist) थे गणित (Mathematics) का इतिहास उठा कर देखो तो पता चलता है कि हम गणितज्ञ (Mathematician) थे , जीव बताती है कि हमे जीवविज्ञान में उच्च स्थान प्राप्त था लेकिन इन सबकी वज़ह मुसलमानों का इस्लाम से कुराआन से अल्लाह से जुड़ा होना था कोई साइंसदान हाफिज था तो कोई किसी मदरसे का कुल शोधकर्ता ,..
– तब हम तादाद में कम थे लेकिन ज्ञान के हुनर-ओ-फन में हमारा कोई सानी(competitor) नही था , हमारे ज्ञान व कला को देख कर विरोधी तक हमारी प्रशंसा करने के लिए मजबूर हो जाते थे , आज हम करोड़ो में हैं लेकिन ये फन हमारे हाथों से निकलता जा रहा है क्यूंकि हमारा सम्बन्ध अल्लाह और उसके रसूल से हटता जा रहा है –
*मुस्लिम वैज्ञानिकों की विज्ञान में अंजाम दी गयी सेवाओं का एक हिस्सा आपकी सेवा में-
# अल तूसी (खगोलशास्त्र) :
इनका पूरा नाम अल अल्लामा अबू जाफर मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन हसन अल तूसी है ये सातवीं सदी हिजरी के शुरू में तूस में पैदा हुए इनकी गणना इस्लाम धर्म के बड़े साइंसदानो में होती है इन्होने बहुत सारी किताबे लिखीं जिनमे सब से अहम “शक्ल उल किताअ” है , यह पहली किताब थी जिसने त्रिकोणमिति को खगोलशास्त्र से अलग किया ,..
– अल तूसी ने अपनी रसदगाह में खगोलीय टेबल बनाया जिस से यूरोप ने भरपूर फायदा उठाया अल तूसी ने बहुत से खगोलीय समस्याओ को हल किया और बत्लूम्स से ज्यादा आसान खगोलीय मानचित्र बनाया उन्ही की मेहनत और परिश्रम ने कूपर निकस को सूरज को सौर मण्डल का केंद्र करार देने में मदद दी इससे पहले पृथ्वी को ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता था ,..
– इन्होने आज के आधुनिक खगोल का मार्ग प्रशस्त किया इसके साथ उन्होंने ज्यामिति के द्रष्टिकोण में नये तथ्य शामिल किये,..
– मशहूर इतिहासकार शार्टन लिखता है -“तूसी इस्लाम के सब से महान वैज्ञानिक और सबसे बड़े गणितज्ञ थे
इसी मशहूर वैज्ञानिक ने त्रिकोणमिति की बुनियाद डाली और उससे सम्बंधित कई कारण भी बतलाये , खगोल विज्ञान की पुस्तकों में “अलतजकिरा अलनासरिया ” जिसे “तजकिरा फी इल्म नसख” के नाम से भी जाना जात है खगोल शास्त्र की एक मशहूर किताब है जिसमें इन्होने ब्रह्मांड प्रणाली में हरकत की महत्वता , चाँद का परिसंचरण (Rotation) और उसका हिसाब , धरती पर खगोलीय प्रभाव , कोह, रेगिस्तान , समुन्द्र, हवाएं और सौर प्रणाली के सभी विवरण स्पष्ट कर दिए, तूसी ने सूर्य और चंद्रमा की दूरी को भी स्पष्ट किया और ये भी बताया कि रात और दिन कैसे होते हैं ,…
* जाबिर बिन हियान (रसायन शास्त्री)
जाबिर बिन हियान जिन्हें इतिहास का पहला रसायनशास्त्री कहा जाता है उसे पश्चिमी देश में गेबर (geber) के नाम से जाना जाता है ,इन्हें रसायन विज्ञान का संस्थापक माना जाता है ,इनका जन्म 733 ईस्वी में तूस में हुई थी ,जाबिर बिन हियान ने ही एसिड की खोज की इन्होने एक ऐसा एसिड भी बनाया जिससे सोने को भी पिघलाना मुमकिन था जाबिर बिन हियान पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पदार्थ को तीन भागों वनस्पति ,पशु और ,खनिज में विभाजित किया |
इसी मुस्लिम साइंसदान ने रासायनिक यौगिकों जैसे – कार्बोनेट, आर्सेनिक, सल्फाइड की खोज की नमक के तेजाब, नाइट्रिक एसिड, शोरे के तेजाब, और फास्फोरस से जाबिर बिन हियान ने ही दुनिया को परिचित कराया ,जाबिर बिन हियान ने मोम जामा और खिजाब बनाने का तरीका खोजा और यह भी बताया कि वार्निश के द्वारा लोहे को जंग से बचाया जा सकता है |
– जाबिर बिन हियान ने 200 से अधिक पुस्तकें रचना में लायीं जिनमें किताब अल रहमा ,किताब-उल-तज्मिया , जैबक अल शर्की , किताब-उल-म्वाजीन अल सगीर को बहुत लोकप्रियता प्राप्त है जिनका अनुवाद विभिन्न भाषाओँ में हो चुका है
* अल जज़री –
अल जजरी अपने समय के महान वैज्ञानिक थे ,इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इन्होने अपार सेवाएँ प्रदान की ,इस महान वैज्ञानिक ने अपने समय में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इन्कलाब बरपा कर दिया था इनका सबसे बड़ा कारनामा ऑटोमोबाइल इंजन की गति का मूल स्पष्ट करना था और आज उन्हीं के सिद्धांत पर रेल के इंजन और अन्य मोबाइलों का आविष्कार संभव हो सका ,अल-जजरी ने ही सबसे पहले दुनिया को रोबोट का मंसूबा अता किया
इन्होने ही पानी निकालने वाली मशीन का आविष्कार किया और कई घड़ियों की भी खोज की जिनमे हाथी घड़ी,कैसल घड़ी,मोमबत्ती घड़ी,और पानी घड़ी भी शामिल हैं |
* इब्न अल हैशम –
इब्न अल हैशम का पूरा नाम अबू अली अल हसन बिन अल हैशम है ये ईराक के एतिहासिक शहर बसरा में 965 ई में पैदा हुए , इन्हें भौतिक विज्ञान , गणित, इंजीनियरिंग और खगोल विज्ञान में महारत हासिल थी , इब्न अल हैशम अपने दौर में नील नदी के किनारे बाँध बनाने चाहते थे ताकि मिश्र के लोगों को साल भर पानी मिल सके लेकिन अपर्याप्त संसाधन के कारण उन्हें इस योजना को छोड़ना पड़ा , लेकिन बाद में उन्हीं की इस योजना पर उसी जगह एक बाँध बना जिसे आज असवान बाँध के नाम से जाना जाता है |
– अतीत में माना जाता था कि आँख से प्रकाश निकल कर वस्तुओं पर पड़ता है जिससे वह वस्तु हमें दिखाई देती है लेकिन इब्न अल हैशम ने अफलातून और कई वैज्ञानिकों के इस दावे को गलत शाबित कर दिया और बताया कि जब प्रकाश हमारी आँख में प्रवेश करता है तब हमे दिखाई देता है इस बात को शाबित करने के लिए इब्न अल हैशम को गणित का सहारा लेना पड़ा , इब्न अल हैशम ने प्रकाश के प्रतिबिम्ब और लचक की प्रकिया और किरण के निरक्षण से कहा कि जमीन की अन्तरिक्ष की उंचाई एक सौ किलोमीटर है इनकी किताब “किताब अल मनाज़िर” प्रतिश्रवण के क्षेत्र में एक उच्च स्थान रखती है,उनकी प्रकाश के बारे में की गयी खोजें आधुनिक विज्ञान का आधार बनी , इब्न-अल-हैशम ने आँख पर एक सम्पूर्ण रिसर्च की और आँख के हर हिस्से को पूरे विवरण के साथ अभिव्यक्ति किया |
– जिसमें आज की आधुनिक साइंस भी कोई बदलाव नही कर सकी है
इन्होने आँख का धोखा या भ्रम को खोजा जिसमे एक विशेष परिस्थिति में आदमी को दूर की चीजें पास और पास की दूर दिखाई देती हैं ,प्रकाश पर इब्न अल हैशम ने एक परिक्षण किया जिसके आधार पर अन्य वैज्ञानिकों ने फोटो कैमरे का आविष्कार किया उनका कहना था कि “अगर किसी अंधेरे कमरे में दीवार के ऊपर वाले हिस्से से एक बारीक छेंद के द्वारा धूप की रौशनी गुजारी जाये तो उसके उल्ट अगर पर्दा लगा दिया जाये तो उस पर जिन जिन वस्तुओं का प्रतिबिम्ब पड़ेगा वह उल्टा होगा ” उन्होंने इसी आधार पर पिन होल कैमरे का आविष्कार किया ,..
– इब्न अल हैशम ने जिस काम को अंजाम दिया उसी के आधार पर बाद में गैलीलियो, कापरनिकस और न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों ने काम किया, इब्न अल हैशम से प्रभावित होकर गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार किया – इब्न अल हैशम की वैज्ञानिक सेवाओं ने पिछले प्रमुख वज्ञानिकों के चिराग बुझा दिए ,..
– इन्होने इतिहास में पहली बार लेंस की आवर्धक पावर की खोज की , इब्न अल हैशम ने ही यूनानी दृष्टि सिद्धांत (Nature of Vision) को अस्वीकार करके दुनिया को आधुनिक दृष्टि दृष्टिकोण से परिचित कराया ,..
– जो चीजें इब्न अल हैशम ने खोजी पश्चिमी देशों ने हमेशा उन पर पर्दा डालने की कोशिस की , इब्न अल हैशम ने 237 किताबें लिखीं ,.. यही कारण है कि अबी उसैबा ने कहा कि वो कशीर उत तसनीफ (अत्यधिक पुस्तक लिखने वाले) थे ,..
* अबुलकासिस (सर्जरी का संस्थापक)
अबू कासिम बिन खल्फ बिन अल अब्बास अल जहरवी 936 में पैदा हुए मगरिब (पश्चिम) में इन्हें अबुलकासिस (Abulcasis) के नाम से जाना जाता है,
– इनकी पुस्तक “किताब अल तसरीफ” चिकित्सा के क्षेत्र की महान पुस्तक है जिसमें चिकित्सा विज्ञान के सभी कलाओं का उल्लेख किया गया है अल जहरवी ने ही सर्जरी की खोज की और इतिहास में पहली बार सर्जरी का प्रयोग कर दुनिया को इस नये फन से वाकिफ कराया ,..
* अल-किंदी –
इनका पूरा नाम याकूब इब्न इशहाक अल-किंदी है,.. इनके पिता कूफा के गवर्नर थे इन्होने प्रारंभिक शिक्षा कूफ़ा ही में प्राप्त बाद में बगदाद चले गये ,..
– इनकी गणना इस्लाम के सर्वोच्च हुकमा और दार्शनिकों में होती है,.. इन्हें गणित , चिकित्सा और खगोल विज्ञान में महारत हासिल थी ,..
– अलकिंदी ने ही इस्लामी दुनिया को हकीम अरस्तू के ख्यालों से परिचित कराया और गणित, चिकित्सा विज्ञान, दर्शन, और भूगोल पर 241 उत्कृष्ट पुस्तकें लिखी जिनमें उनकी पुस्तक “बैत-उल-हिक्मा” (House of Wisdom) को बहुत लोकप्रियता प्राप्त है
* अल-बैरूनी –
– अबू रेहान अल बैरूनी का पूरा नाम अबू रेहान मुहम्मद इब्न अहमद अल बैरूनी है,.. ये 9 सितंम्बर 973 ई को ख्वारिज्म के एक गाँव बैरून में पैदा हुए, ये बहुत बड़े शोधकर्ता और वैज्ञानिक थे |
– अल बैरूनी ने गणित , इतिहास के साथ भूगोल में ऐसी पुस्तकें लिखीं हैं जिन्हें आज तक पढ़ा जाता है, उनकी पुस्तक “किताब-अल-हिंद” को बहुत लोकप्रियता प्राप्त है, इस पुस्तक में अल बैरूनी ने हिन्दुओं के धार्मिक विश्वासों और इतिहास के साथ भारतीय भौगोलिक स्थिति बड़ी ही तहकीक से लिखें हैं ,..
– बैरूनी ने कई साल हिन्दुस्तान में रह कर संस्कृत भाषा सीखी और हिन्दुओं के ज्ञान में ऐसी महारत हासिल की कि ब्राह्मण भी आश्चर्य करने लगे ,..
– अल बैरूनी की लिखी पुस्तक “कानून मसूद” खगोल विज्ञान और गणित की बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक है इस पुस्तक मन ऐसे साक्ष्य पेश किये गये हैं जो और कहीं नहीं मिलते,..
– स्वरूप विज्ञान और गणित में अल बैरूनी को महारत हासिल थी, इन्होने भौतिकी, इतिहास, गणित के साथ-साथ धर्म, रसायन , और भूगोल पर 150 से अधिक पुस्तकें लिखी |
– बैरूनी ने ही सब से पहले पृथ्वी को मापा था , अल बैरूनी ने आज से 1000 साल पहले महमूद गज़नवी के दौर में मौजूदा पाकिस्तान आने वाले उत्तरी पंजाब के शहर पिंड दादन खान से 22 किलोमीटर दूर स्थित नंदना में रुके , इसी प्रवास के दौरान इन्होने पृथ्वी की त्रिज्या को ज्ञात किया जो आज भी सिर्फ एक प्रतिशत के कम अंतर के साथ दुरुस्त है ,..
– सभी वैज्ञानिक इस बात से हैरत में हैं कि अल – बैरूनी ने आज से 1000 साल पहले जमीन की माप इतनी सटीकता के साथ कैसे कर ली ?
– अल-बैरूनी ने ही बताया कि पृथ्वी अपनी अक्ष (Axis) पर घूम रही है और ये भी स्पष्ट किया फव्वारों का पानी नीचे से ऊपर कैसे जाता है ,..
* इब्न सीना –
– इब्न सीना का पूरा नाम “अली अल हुसैन बिन अब्दुल्लाह बिन अल-हसन बिन अली बिन सीना” है | इनकी गणना इस्लाम के प्रमुख डाक्टर और दर्शिनिकों में होती है पश्चिम में इन्हें अवेसेन्ना (Avicenna) के नाम से जाना जाता है ये इस्लाम के बड़े विचारकों में से थे , इब्न सीना ने 10 साल की उम्र में ही कुरआन हिफ्ज़ कर लिया था |
– बुखारा के सुलतान नूह इब्न मंसूर बीमार हो गये,.. किसी हकीम की कोई दवाई कारगर शाबित न हुई, 18 साल की उम्र में इब्न सीना ने उस बीमारी का इलाज़ किया जिस से तमाम नामवर हकीम तंग आ चुके थे ,..
– इब्न सीना की दवाई से सुल्तान-इब्न-मंसूर स्वस्थ हो गये , सुल्तान ने खुश हो कर इब्न सीना को पुरस्कार रूप में एक पुस्तकालय खुलवा कर दिया,..
– अबू अली सीना की स्मरण शक्ति बहुत तेज़ थी उन्होंने जल्द ही पूरा पुस्तकालय छान मारा और जरूरी जानकारी एकत्र कर ली, फिर 21 साल की उम्र में अपनी पहली किताब लिखी |
– अबू अली सीना ने 21 बड़ी और २४ छोटी किताबें लिखीं लेकिन कुछ का मानना है कि उन्होंने 99 किताबों की रचना की |
– उनकी गणित पर लिखी 6 पुस्तकें मौजूद हैं जिनमे “रिसाला अल-जराविया , मुख्तसर अक्लिद्स, अला रत्मातैकी, मुख़्तसर इल्म-उल-हिय , मुख्तसर मुजस्ता , रिसाला फी बयान अला कयाम अल-अर्ज़ फी वास्तिससमा (जमीन की आसमान के बीच रहने की स्थिति का बयान )” शामिल हैं ,..
– इनकी किताब “किताब अल कानून (canon of medicine)” चिकित्सा की एक मशहूर किताब है जिनका अनुवाद अन्य भाषाओँ में भी हो चुका है,. उनकी ये किताब 19वीं सदी के अंत तक यूरोप की यूनिवर्सिटीयों में पढाई जाती रही |
– अबू अली सीना की वैज्ञानिक सेवाओं को देखते हुए यूरोप में उनके नाम से डाक टिकट जारी किये गये हैं
आज हमें स्कूल और कॉलेजों में बताया जाता है कि – “मुसलमानों ने जब कुस्तुन्तुनिया को अपने कब्जे में लिया तो वहां साइंस के और ज्ञान विज्ञान के तमाम स्त्रोत मौजूद थे लेकिन मुसलमानों के लिए इन सब की कोई अहमियत न थी इस लिए मुसलमानों ने उनको तबाह बर्बाद कर डाला” इस झूठे इतिहास को पढ़ा कर मुल्क हिन्दुस्तान और दुनिया के तमाम मुल्क के शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थीयों कि मानसिकता को बदला जाता है और हकीकत को पैरों तले कुचल दिया जाता है – और मुसलमान भी इसी झूठे इतिहास को पढ़ता रहता है क्यूंकि उसे असलियत का पता नही होता उसे ये इल्म नही होता कि हमने बहर-ए-जुल्मात में घोड़े दौडाएं हैं हमने समन्दरों के सीने चाक किये हैं हम ही ने परिंदों की तरह इंसान को परवाज़ करना सिखाया है, हम ही ने साइंस को महफूज़ किया है | ,..
– बड़ी अजीब बात है कि मुसलमानों ने अपना इतिहास भुला दिया, उसे वह हुनर तो छोड़ो वह नाम ही याद नही जिनकी वज़ह से आधुनिक विज्ञान ने इतनी प्रगति की है , मुसलमान अतीत में एक सफल इंजिनियर भी रहे, एक चिकित्सक भी रहे, एक उच्च सर्जन भी रहे हैं, कभी इब्न-उल-हैशम बन कर प्रतिश्रवण के सिंहासन पर काबिज हो गये तो कभी जाबिर बिन हियान के रूप में रसायन विज्ञान का बाबा आदम बन कर सामने आये !
* कोई भी धर्म की कोई एक सर्वमान्य परिभाषा आज तक तय नहीं है,जबकि इस्लाम की परिभाषा तय है,
2. कोई और धर्म के लोगों लिए कर्तव्य और अकर्तव्य कुछ भी निश्चित नहीं है,एक आदमी अंडा तक नहीं छूता और अघोरी इंसान की लाश खाते हैं,जबकि दोनों ही एक धर्म के हैं,जबकि एक मुसलमान के लिए भोजन में हलाल हराम निश्चित है,
3. कोई और धर्म में मर्द औरत के लिए यह निश्चित नहीं है,कि वे अपने शरीर को कितना ढकें ?, एक अपना शरीर ढकता है,और दूसरा पूरा नंगा ही घूमता है,जबकि मुस्लिम मर्द औरत के लिए यह निश्चित है कि वे अपने शरीर का कितना अंग ढकें ?
4. कोई और धर्म के अनुयायी के लिए उपासना करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि ईश्वर के अस्तित्व को नकारने के बाद
भी लोग उसी धर्म के कहलाते है!जबकि मुसलमान के लिए इबादत करना अनिवार्य है,और ईश्वर का इन्कार करने के बाद उसे वह मुस्लिम नहीं रह जाता!
5. कई धर्मों में आज भी देवदासियां रखी जाती हैं,और औरतों द्वारा नाच गाना होता है, इसे ईश्वर का समीप पहुंचने का माध्यम माना जाता है,जबकि मस्जिदों में औरतों का तो क्या मर्दों का भी नाचना गाना गुनाह और,
हराम है,और इसे ईश्वर से दूर करने वाला माना जाता है!
6. कोई धर्म ब्याज लेने से नहीं रोकता जिसकी वजह से आज ग़रीब किसान मज़दूर लाखों की तादाद में मर रहे हैं,जबकि इस्लाम में ब्याज लेना हराम है!
7. कोई धर्म में दान देना अनिवार्य नहीं है, जो देना चाहे, दे और जो न देना चाहे तो वह न दे और कोई चाहे तो दान में विश्वास ही न रखे जबकि इस्लाम में धनवान पर अनिवार्य है, कि वह हर साल ज़रूरतमंद ग़रीबों को अपने माल में से 2.5 प्रतिशत ज़कात अनिवार्य रूप से दे इसके अलावा फ़ितरा आदि देने के लिए भी इस्लाम में व्यवस्था की गई है!
8. हर धर्म में धर्म के उच्च जाति के व्यक्ति को दान‘ देने की ज़बर्दस्त प्रेरणा दी गई है’जबकि पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह व्यवस्था दी है’ कि हमारी नस्ल में से किसी को भी सदक़ा-ज़कात मत देना दूसरे ग़रीबों को देना हमारे लिए सदक़ा-ज़कात लेना हराम है!
अब आप ही तय करे के इस्लाम दुनिया का सब से बेहतर मजहब है,या नही जो इंसानों को सही राह दिखाता है,जीस में हर चीज के कानून कायदे तय कीए गए है!
कल्कि अवतार का तो पता नहीं लेकिन ये ब्लॉग एक सुअर की औलाद ने लिखा है जो अपने जैसो (सुअर) को नहीं खाते ।।
ReplyDeleteअल्लाह चूस मेरा लुल्ला सब पिस्सलिम साले मादरचोद रनडी की औलाद हो तुम सुअरो का यही इलाज है की तुमलोगों को काट दिया जाए वैसे भी लंड कटा हुआ रहता है तुम्हारा और तुम्हारी लाशों को कुत्तों को खिलाएँगे तो उन बेज़बान कुत्तों का भला होगा ।।
बिखला कर गाली देने से अच्छा है जवाब देना वरना मानसिकता में गोबर और मूत्र ही दिखाई देता है ।
ReplyDeleteSatik jabab diya gali galooc karne bale ko
DeleteSachchai ko man Lena mahanta ki nishani Hoti h
ReplyDeleteChutiya h kya? Wait kro Kalki ka ..Tum ko Pata.....
ReplyDeleteArya Hindu dharm ka aadhar pakhand puraan nhi hain, balki ved hain, jiske gyan vigyaan ki saravjanik roop se burai krne ka dum na kise me hai , na hoga.
ReplyDeleteपंडित हो के गधे बताओ तुम
ReplyDeleteजो धर्म1400 वर्ष पहले बना उसके बारे मे तुम हमें बता रहे हो अभी बच्चे हो कुछ नही जानते हो अभी कुछ नही समझ पाए हों अपना ज्ञान अपने पास रखो दूसरो को मत दो समझे ।
ReplyDeleteHamara dharm to sadiyon se he bas 1400 sal pehle kalki avtar ke rup men is duniya men aaye
Deleteमाफ कीजिए लेकिन वेद प्रकाश ने किस वेद में लिखा है ये नहीं बताया वेद प्रकाश से बीनती है कि वह बताते की कहां लिखा है इससे ज्यादा कुछ नहीं कहुंगा
ReplyDelete,rfLeUufUrjs EysPN vkpkZ¸;sZ.k lekfUor%A
Deleteegken bfr [;kr% f'k";'kk[kk lekfUor%A
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Cool and that i have a swell present: How Long Renovate House house makeover
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