मछली ज़िबह नहीं की जाती तो यह हलाल कैसे हुई?

“मछली ज़िबह नहीं की जाती तो यह हलाल कैसे हुई?
May 19, 2017
* विज्ञान ने गैर मुसलमानों के सबसे बड़े सवाल का जवाब दे दिया, ऐसी हकीकत जानकर आप भी सुबहान अल्लाह कह उठेंगे इस्लाम ने हलाल भोजन का आदेश देते हुए हराम भोजन से मना किया है और ऐसे जानवर का मांस का उपयोग करने के लिए आदेश दिया है जिसे इस्लामी तरीके से ज़िबह गया हो।(झटके से मारे गए जानवर का मांस इस्लाम में हराम है)
गैर मुस्लिम न सिर्फ हराम गोश्त उपयोग बल्कि इस्लाम के इस आदेश से संबंधित मछली का उदाहरण पेश करते हुए यह सवाल भी उठाते हैं कि उसे ज़िबह नहीं किया जाता तो यह कैसे हलाल हो गई लेकिन अब विज्ञान ने इस सवाल का जवाब दे दिया है और ऐसा आश्चर्यजनक खुलासा किया है कि आप भी सुबहान अल्लाह केह उठेंगे।
अल्लाह ने दुनिया में मौजूद सब कुछ सही तरीके से बनाया है और ऐसा ही मामला मछली के साथ भी है जो जैसे ही पानी से बाहर आती है तो उसके शरीर में मौजूद सभी रक्त तुरंत अपना रास्ता बदल लेता है और मछली के मुंह में इकठ्ठा होकर ” एपीगलोटस” में जमा होना शुरू हो जाता है।
मछली पानी से निकलने के कुछ ही देर बाद उसके शरीर में मौजूद रक्त एक एक बूंद एपीगलोटस में जमा हो जाता है और उसका मांस शुद्ध और हलाल रहता है और यही कारण है कि मछली ज़िबह करने की जरूरत ही शेष नहीं रहती और जिस दौरान मछली मांस बनाया जाता है तो ” एपीगलो
टस”को बाहर निकाल दिया जाता है।

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