मेरी आवाज ( मेरे अल्फाज़ )

1
जो कौम 30 मिनट कव्वाली गाने वाले कव्वाल को एक लाख
और
30 दिन नमाज़ पढ़ाने वाले इमाम साहब को 5 हज़ार दे तो
ज़ाहिर है कौम में गवय्ये ही पैदा होंगे आलिम नही

2
अफसोस ये नही की आज की नस्लें (बच्चे बिगड़ रहे हैं) खराब हो रही है
दुःख तो इस इस बात का है की कल उन्हें बिगड़े हुए माँ-बाप मिलेंगे

3
किस को फिक्र है कि कबीले का क्या होगा
सब लड़ते इस पर है कि सरदार कौन होगा

4
गंवा कर इल्म  खरीद लिये मोबाइल हम ने
उम्मत परेशां रही और हम पोस्ट करते रहे

5
शायद मैं इसीलिए पीछे हूं
मुझे होशियारी नही आती
बेशक लोग ना समझे मेरी वफादारी
मगर 'यारो मुझे गद्दारी नही आती

6
देगें चढ़ी है उस के इसाले सवाब को
वो शख्श जो मरा था कल गली में भूख से
7
हर वक़्त मिलती रहती है मुझे अनजानी सी सजा...
मैं तक़दीर से कैसे पूंछू की मेरा कुसूर क्या है........
8

*बचपन कि ख्वाहिशें आज भी “खत” लिखती हैं मुझे.......,*

*शायद बेखबर इस बात से हैं  की*

 *वो जिंदगी अब इस “पते”पर नही रहती।*


Comments

Popular posts from this blog

तलबीना की अहमियत

कल्कि अवतार (पंडित वेद प्रकाश ब्राह्मण)

مسواک کے ستر (70) فوائد