शायरी

1- किसको क्या मिले इसका कोई हिसाब नहीं।
तेरे पास रूह नहीं मेरे पास लिबास नहीं

2- *हटा कर खाक को दाना उठाना सीख लेता है*

*परिंदा चार पल में फड़फड़ाना सीख लेता है*

*गरीबी ला कर देती है बिन मांगे हुनर ऐसा*

*की नाज़ुक पाँव भी रिक्शा* *चलाना सीख लेता है*

3- *तेरे सब्र की कोई मिसाल नहीं ऐ, मुसलमां*,

*लबों, पर प्यास की शिद्दत ओर हाथ में वज़ु का पानी।*,

   زندگی کی دوڑ میں تجربہ کچا ہی رہ گیا

ہم سیکھ نہ پائے فریب اور دل بچہ ہی رہ گیا

گزرتے لمحوں میں صدیا تلاش کرتا ہوں

پیاس اتنی ہے کی ندیاں تلاش کرتا ہوں

یہاں پر لوگ گناتیں ہے خوبیاں اپنی

میں اپنے آپ میں کمیاں تلاش کرتا ہوں

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