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Showing posts from March, 2020

अपने बच्चों को ये नसीहत दें l जो उन की ज़िंदगी मे हमेशां काम आए

इमाम वालों तुम अपने आपको और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका इंधन इंसान और पत्थर है, (सुरह तहरीम आयत न:6) (1)  *पहली नसीहत=* अपने बच्चों को अकीदे के बारे में बतायें की अल्लाह एक है उसका कोई शरीक नहीं है, वह अकेला है, हमें उसी की इबादत करनी चाहिए और किसी गैर शरीक नहीं करना चाहिए, क्योकि शिर्क करना बहुत बड़ा जुर्म है- (2) *दुसरी नसीहत=* आप अपने बच्चों को करें की ऐ मेरे बच्चे अल्लाह ताअला हर छोटी बड़ी नेकी और उसी तरह हर छोटी बड़ी बुराई को खूब जानता है, लिहाजा अपने बच्चों को हमेशा नेकियों की तरफ तरगीब, और बुराइयों से डराते रहना चाहिए!!(सुरह  लुकमान आयत न:16) (3) *तीसरी नसीहत=* ऐ मेरे बच्चे तु हमेशा अपनी नमाज़ों का एहतमाम करना,जान बुझकर कभी भी नमाज़ मत छोड़ना- अच्छे कामों का हुक्म देते रहना, बुरे कामों से मना करना, और जो मुसीबत आ जाए उस पर सब्र करना (सुरह लुकमान आयत न:17) (4) *चोथी नसीहत=* ऐ मेरे बच्चे कभी भी लोगों को हकीर मत समझना, और उनसे अपना मुंह मत मोडना, और जमीन में इतराकर मत चलना, क्योकि अल्लाह तकब्बुर करने वालों को पसंद नहीं करता -और अपनी आवाज़ पस्त रखना, क्योकि आवाज...

मैं 'घर' जाकर अपनी 'माँ' का 'चेहरा' देख लेता हूँ।

*"'तारीफ़' करती है जिस दिन ये दुनिया 'बहुत' मेरी,* *मैं घर जाकर 'आईने' में 'असलियत' देख लेता हूँ।* *मेरी 'आवाज़' कभी उनकी आवाज़ से 'ऊँची' नहीं होती,* *मैं अपने 'वालिद' की आँखों में अपना 'बचपन' देख लेता हूँ।* *अपनी 'तन्हाई' पर जब 'तरस' आने लगता है मुझको,* *मैं 'खिड़की' खोलकर उस 'चाँद' को देख लेता हूँ।* *बहुत 'बेचैन' हो जाता है जब 'कभी' भी दिल मेरा,* *मैं 'घर' जाकर अपनी 'माँ' का 'चेहरा' देख लेता हूँ।* *खुदा से 'शिकायत' नहीं कर पाता मैं किसी 'बात' की,* *मस्जिद' के रास्ते में रोज़ एक 'ग़रीब' को देख लेता हूँ।* *इस 'जहाँ' की 'मोहब्बत' जब बहुत 'ज़्यादा' होने लगती है,* *सड़क' पर पड़े किसी परिंदे का 'घोंसला' देख लेता हूँ।* *नहीं 'चढ़ता' है मुझ पर कभी दौलत का 'ख़ुमार',* *अक्सर' किसी 'जनाज़े' को गुज़रते देख लेता हूँ।*

स्कूल जाने वाले सभी बच्चों के अभिभावकों तक पहुँचाएं

स्कूल जाने वाले सभी बच्चों के अभिभावकों तक पहुँचाएं : 1. शाम 8:00 बजे तक टीवी बंद कर दें। टीवी पर आठ बजे के बाद आपके बच्चे से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता है। 2. अपने बच्चे की स्कूल डायरी देखने के लिए 30-45 मिनट निकालिए। उसके गृहकार्य पूरे करवाएं। 3. रोज सभी विषयों में उनका प्रदर्शन देखिए। उन विषयों का खास ध्यान रखिए जिसमें वह अच्छा नहीं कर रहा है। 4. बच्चों की बुनियादी शिक्षा भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 5. उन्हें रात को 10:00 बजे तक सोने और सुबह 6:00 बजे उठने की आदत डालिए। 6. अगर आप किसी पार्टी/सामाजिक आयोजन में जाते हैं और बच्चों के साथ देर रात तक लौटते हैं तो अगले दिन बच्चे को आराम करने दीजिए (स्कूल मत भेजिए) अगर आप चाहते हैं कि बच्चा अगले दिन स्कूल जाए तो रात 10:00 बजे तक घर लौट आइए। 7. अपने बच्चे में पौधे लगाने और उनका ख्याल रखने की आदत का विकास कीजिए। 8. सोने के समय अपने बच्चों को वीर शिवाजी, डॉ बी आर अम्बेडकर, सावित्री बाई फुले ज्योतिबा फुले की जीवन गाथा और संघर्ष की कहानियां जरूर सुनाए। 9. हर साल गर्मी की छुट्टी में (अपने बजट के अनुसार ) कहीं घूमने ज...

"मैं ने नही तलाक तुमने दिया"

"मैं ने नही तलाक तुमने दिया"         राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था। दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे। चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए। राधिका के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी नवीन के घर से लेना था और नवीन के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे। साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि नवीन  दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा। राधिका और नवीन दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर नवीन के घर पहुंचे।  दहेज में दिए समान की निशानदेही राधिका को करनी थी। इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी। आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर। सभी परिजन अपने अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे।नवीन, राधिका और राधिका की माता जी। नवीन घर मे अकेला ही रहता था।  मां-बाप और भाई आज भी गांव में ही रहते हैं। राधिका और नवीन का इकलौता बेटा जो अभी सात व...