वह मुस्लिम महिला जिसने स्थापित की थी आधुनिक विश्व की सबसे पहली यूनिवर्सिटी

वह मुस्लिम महिला जिसने स्थापित की थी आधुनिक विश्व की सबसे पहली यूनिवर्सिटी

इस्लाम में शिक्षा पर बहुत जोर दिया गया है। पवित्र कुरान की ऐसी कई आयतें हैं जिनमें शिक्षा का महत्व बताया गया है। आमतौर पर ऐसा समझा जाता है कि शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान तो सिर्फ पुरुषों के लिए हैं, परंतु यह सच नहीं है। इस्लाम में महिलाओं को भी शिक्षा की बराबरी का अधिकार दिया गया है। आज हम आपको बताएंगे उस मुस्लिम महिला के बारे में जिसने सदियों पहले यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी।
1- उस महान मुस्लिम महिला का नाम फातिमा अल-फिहरी था। वे अरब में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती थीं। उनका शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने अल कारावियिन यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। यह उस जमाने में बहुत बड़ी घटना थी।
2- सन् 800 ई. में फातिमा का जन्म ट्यूनीशिया के कारावान में हुआ। फातिमा के पिता मुहम्मद अल-फिहरी बहुत धनी कारोबारी थे। खुद फातिमा भी शिक्षित थीं। वे धन का उपयोग ऐसे कार्य में करना चाहती थीं जिससे संसार की भलाई हो और जिसकी जरूरत हर व्यक्ति को हो। निश्चित रूप से शिक्षा ही माध्यम है जो हर युग में मनुष्य के लिए जरूरी है।
3- इसी दूरदर्शी सोच के साथ फातिमा ने यूनिवर्सिटी स्थापित करने का फैसला लिया। ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार, उन्होंने 859 ई. में मोरक्को के फेज नामक स्थान पर इस संस्था की स्थापना की।
Image: germmagazine
4- शुरुआत में यह एक छोटा-सा मदरसा ही था जो बाद में तरक्की करता हुए यूनिवर्सिटी बन गया। इस यूनिवर्सिटी से जुड़ी दिलचस्प बात है कि यह आज भी चल रही है। इसे दुनिया में सबसे ज्यादा पुरानी एवं लगातार संचालित होने वाले शिक्षण संस्थान का गौरव हासिल है।
5- फातिमा धनी तो बहुत थीं लेकिन उनका जीवन अनेक कष्टों से भरा था। उनके पति, पिता और भाइयों की मृत्यु हो गई थी। इस वजह से वे बहुत दुखी रहती थीं। तब फातिमा और उनकी बहन मरियम ने धन का उपयोग ऐसे कार्य के लिए करना चाहा जो समाज की उन्नति कर सके।
6- उस समय मस्जिद और शिक्षण संस्था की बहुत जरूरत थी। इसलिए मरियम ने ग्रांड एंडालुस मस्जिद और फातिमा ने कारावियिन मस्जिद व यूनिवर्सिटी का निर्माण करवाया।
7- फातिमा ने जिस मदरसे का निर्माण करवाया, वह 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच एक यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित हो गया। जल्द ही यह शिक्षा का बहुत प्रतिष्ठित स्थान बन गया। यहां लोग इबादत के साथ ही ज्ञान भी प्राप्त करते। शिक्षा और भक्ति का यह संगम आज तक जारी है। फातिमा ने तो 880 ई. में ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन इस यूनिवर्सिटी में हर रोज अनेक लोग उन्हें याद करते हैं। वे उनके प्रयासों की तारीफ करना नहीं भूलते।

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