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Showing posts from July, 2017

खूबसूरत नज़्में

आई सब्जी वाली आई आओ देखें क्या क्या लाई ये है मूली वो है गाजर कितने अच्छे लाल टमाटर बैगन से आलू की यारी भेंडी कितनी प्यारी प्यारी

फरयादें

परिंदे की फरियाद आता है याद मुझ को गुज़र हुवा ज़माना वो बाग़ की बहारें वो सब का चहकना आज़दियाँ कहाँ वो अब अपने घोंसलों की अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना लगती है चोट दिल पर आता है याद जिस दम शबनम के आंसुओं पर कलियों का मुस्कुराना वो प्यारी प्यारी सूरत वो कामनी सी मूरत आबाद जिस के दाम से था मेरा आशियाना आती नही सदाएँ उस की मेरे कफ़स में होती मेरी रिहाई ए काश मेरे बस में क्या बदनसीब हुँ मैं घर को तरस रहा हुँ साथी तो है वतन में मैं कैद में पड़ा हुँ आई बहार कलियाँ फूलों को हँसा रही है मैं इस अँधेरे घर में क़िस्मत को रो रहा हुँ क़ुरान की फ़रियाद ताकों में सजाया जाता हुँ आँखों से लगाया जाता हुँ तावीज़ बनाया जाता हुँ धो धो के पिलाया जाता हुँ जुज़दान हरीर व रेशम के और फूल सितारे चाँदी के फिर इत्र की बारिश होती है खुशबू में बसाया जाता हुँ जिस तरह तोता मैना को कुछ बोल सिखाये जाते है इस तरह पढ़ाया जाता हुँ इस तरह सिखाया जाता हुँ जब कॉल व कसम लेने के लिए तेहरीर की नोबत आती है फिर मेरी ज़रूरत पड़ती है हाथों में उठाया जाता हुँ दिल सोज़ से खाली रेहते है आँखें है कि नम हो...

मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा

Job v/s Business एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी, लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहाँ आकर समोसे खाया करते थे। एक दिन कंपनी के एक मैनेजर समोसे खाते खाते समोसे वाले से मजाक के मूड मे आ गये। मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छे से maintain की है, लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टैलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मैंनेजर होते मेरी तरह.." इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा, और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है, 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी, तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी १० हजार। इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की.. आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये. और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुँच गया. आज आप महीना ५०,००० कमाते है और मै महीना २,००,००० लेकिन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ। ...

Gazals (Nasihat)

{1} नादां रहा हो कोई या उस्तादे फन रहा मरने के बाद सबका एक सा कफ़न रहा बिन जेब के लिबास में जाना पड़ा उसे ताउम्र जिसके पास तिजोरी में धन रहा जो आज शाम मिट्टी की ढेरी मे मिल गया मिट्टी के उस शरीर का लाखों जतन रहा जो आज कब्र में पड़ा है देह सिकोड़े कल कह रहा था मेरा नया बंगला बन रहा सबका हुआ जो हाल वही तेरा भी होगा किस बात पर '' तू है इतना तन रहा {2} *किसी शायर ने मौत को क्या खुब कहा है...* *जिन्दगी मे दो मिनट कोई मेरे पास ना बैठा, आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे ?* *कोई तौफा न मिला आज तक, और आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे ?* *तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये, और आज कधें पे कधें दिए जा रहे थे ?* *दो कदम चलने को तैयार न था कोई, और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे ?* *आज पता चला मुझे मौत कितनी हसीन होती है ? कम्बख्त हम तो यूहि जिन्दगी जिए जा रहे थे....!!!* {3} कचरे में फेंकी हुई रोटी रोज़ ये बयां करती है। कि पेट भरने के बाद इन्सान अपनी औकात भूल जाता है। ठण्डा चूल्हा देखकर रात गुजारी उस गरीब ने, कमबख्त आग थी की पेट में रात भर जलती रही। {4} दरवाज़ो...

एक जज अपनी पत्नी को क्यों दे रहे हैं तलाक???।

डीआईजी नवनीत सिकेरा की कलम से एक जज अपनी पत्नी को क्यों दे रहे हैं तलाक???।   कल रात एक ऐसा वाकया हुआ जिसने मेरी ज़िन्दगी के कई पहलुओं को छू लिया । करीब 7 बजे होंगे, शाम को मोबाइल बजा । उठाया तो उधर से रोने की आवाज.. मैंने शांत कराया और पूछा कि भाभीजी आखिर हुआ क्या? उधर से आवाज़ आई.. आप कहाँ हैं??? और कितनी देर में आ सकते हैं? मैंने कहा:- *"आप परेशानी बताइये"*। और "भाई साहब कहाँ हैं...?माताजी किधर हैं..?" "आखिर हुआ क्या...?" लेकिन *उधर से केवल एक रट कि "आप आ जाइए"*, मैंने आश्वाशन दिया कि *कम से कम एक घंटा पहुंचने में लगेगा*. जैसे तैसे पूरी घबड़ाहट में पहुँचा; देखा तो भाई साहब [हमारे मित्र जो जज हैं] सामने बैठे हुए हैं;  *भाभीजी रोना चीखना कर रही हैं* 12 साल का बेटा भी परेशान है; 9 साल की बेटी भी कुछ नहीं कह पा रही है। मैंने भाई साहब से पूछा कि *""आखिर क्या बात है""*??? *""भाई साहब कोई जवाब नहीं दे रहे थे ""*. फिर भाभी जी ने कहा ये देखिये *तलाक के पेपर, ये कोर्ट से तैयार करा के लाये हैं...

ગુજરાતી સાહિત્યના અદભુત શેર

*ગુજરાતી સાહિત્યના અદભુત શેર* મારી હસ્તી મારી પાછળ એ રીતે વિસરાઈ ગઈ, આંગળી જળમાંથી નીકળી ને જગા પૂરાઈ ગઈ. *- ઓજસ પાલનપુરી* અધીરો છે તને ઈશ્વર બધુંયે આપવા માટે, તું ચમચી લઈને ઊભો છે દરિયો માગવા માટે? *- અનિલ ચાવડા* દુનિયામાં મને મોકલી પસ્તાયો હતો તું, મૃત્યુનું બહાનું કરી આ પાછો ફર્યો લે. *– મરીઝ* જીવ હજી તો જભ્ભામાં છે, ફાટી ગઈ છે જાત કબીરા. *- ચંદ્રેશ મકવાણા* તારું કશું ન હોય તો છોડીને આવ તું, તારું જ બધું હોય તો છોડી બતાવ તું. *- રાજેશ વ્યાસ 'મિસ્કીન'* આભમાં કે દરિયામાં તો એક પણ કેડી નથી, અર્થ એનો એ નથી કે કોઈએ સફર ખેડી નથી. *- રાજેશ વ્યાસ 'મિસ્કીન'* આ અહીં પ્હોંચ્યા પછીથી એટલું સમજાય છે, કોઈ કંઈ કરતું નથી બસ આ બધું તો થાય છે. *- રાજેન્દ્ર શુક્લ* હું ક્ષણોના મ્હેલમાં જાઉં અને, કોક દરવાજો કરી દે બંધ તો! *- ચિનુ મોદી* જીવી શકું હું કઈ રીતે તમને સ્મર્યા વગર, પાંપણ કદીયે રહી શકે મટકું ભર્યા વગર? *- મનહર મોદી* પાનખર વીતી છતાં ખરતાં રહે છે પાંદડાને લાગી આવ્યું પાંદડાનું.  *- ઉદયન ઠક્કર* શ્વાસને ઈસ્ત્રી કરી મેં સાચવી રાખ્યા હતા, ક્...

तेरा हो या ना हो मेरा है वास्ता

तेरा हो या ना हो, मेरा है वास्ता जाना पहचाना लगता है ये रास्ता उसके खेतों से और उसके खलिहान से छोटे जुम्मन की फूफी की दूकान से उसके कमज़ोर कांधों के सामान से है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता मांगते भीख इंसान इंसान से सर्द रातों से लड़ती हुई जान से गाँवों के बनते वीरान से है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता आँख से जो न टपकी हो उस बूँद से कस-मसाते हुए दिल की हर गूँज से बिन लिखे उन ख़तों के मज़मून से है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता करवटों से परेशान फ़ुटपाथ से उस मुहल्ले के बिछड़े हुए साथ से हँसिए को थामे हुए हाथ से मेरा है वास्ता, है मेरा वास्ता उसके अल्लाह से और भगवान से उसके भजनों से भी, उसकी आज़ान से और दंगों में जाती हुई जान से है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता उसके चूल्हे की बुझती हुई आग से उस हवेली की जूठन, बचे साग से टूटी चूड़ी के फूटे हुए भाग से है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता कम्मो दादी की धोती के पैबंद से और पसीने की आती हुई गंध से उसके जूआ छुड़ाने की सौगंध से है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता उसकी छत से टपकती हुई बूँद से सरहदों पर बहाए हुए ख़ून से ज़ुल्म ढाते...

भिकारी और अमिर आदमी

एक बहुत अमीर आदमी ने रोड के किनारे एक भीखारी से पूछा.. की "तुम भीख क्यूँ माँगते रहे हो जबकि तुम तंदरुस्त हो..." भीखारी ने जवाब दिया... "मेरे पास महीनों से कोई काम नहीं है... अगर आप मुझे कोई नौकरी दें तो मैं अभी  से भीख मांगना छोड़ दूँ" अमीर मुस्कुराया और कहा.. "मैं तुम्हें कोई नौकरी तो नहीं दे सकता .. लेकिन मेरे पास इससे भी अच्छा कुछ है... क्यूँ नहीं तुम मेरे बिज़नस पार्टनर बन जाओ..." भीखारी को यकीन नहीं हुआ जो उसने सूना था... "ये आप क्या कह रहे हैं क्या ऐसा मुमकीन है...?" "हाँ मेरे पास एक चावल का प्लांट है.. तुम चावल बाज़ार में सप्लाई करो और जो भी मुनाफ़ा होगा उसे हम महीने के अंत में आपस में बाँट लेंगे.." भीखारी के आँख से ख़ुशी के आंसू निकल पड़ें... " आप मेरे लिए जन्नत के फ़रिश्ते बन कर आये हैं मैं किस कदर आपका शुक्रिया अदा करूँ.." फिर अचानक वो चुप हुआ और कहा.. "हम मुनाफे को कैसे बांटेंगे..? क्या मैं 20% और आप 80% लेंगे ..या मैं 10% और आप 90% लेंगे.. जो भी हो ...मैं तैयार हूँ और बहुत खुश हूँ..."...

"तिजारत अल्लाह के साथ"

ग्राहक दुकान में दाखिल होते ही दुकानदार से पूछने लगा कि:- "केलाें का क्या भाव लगाया है? दुकानदार ने जवाब दिया:- "केले 12 रूपए अौर सेब 15 रूपए।" इतने में एक औरत भी दुकान पे आगई अौर कहा:- "मुझे एक किलाे केले चाहिए, क्या भाव है? दुकानदार बाेला:- केले 5 रूपए अौर सेब 7 रूपए। औरत ने अल्हम्दुलिल्लाह कहा। दुकान में पहले से मौजूद ग्राहक ने खा जाने वाली नजराें से दुकान वाले काे देखा। इससे पहले कि ग्राहक दुकानदार काे कुछ सुनाता, दुकान वाले ने आँखों से इशारा करते हुए थोड़ी देर शान्त रहने काे कहा। औरत खरीदारी करके खुशी खुशी दुकान से निकलते हुए बाेली:- "अल्लाह तेरा शुक्र है, मेरे बच्चे इन्हें खा कर बडा खुश हाेंगे। औरत के चले जाने के बाद दुकान वाले ने पहले ग्राहक की तरफ देखते हुए बाेला:- "अल्लाह गवाह है मेरे भाइ मैंने तुझे धाेका देने की कोई कोशिश नहीं की है। यह अौरत चार यतीम बच्चाें की माँ है, किसी से भी किसी तरह की मदद लेने काे तय्यार नहीं है। मैं ने कई बार कोशिश की लेकिन हर बार नाकाम रहा। अब मुझे यही तरीका समझ मे आया कि वह जब कभी भी कुछ खरीदने मेरी दुकान पे ...