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Showing posts from May, 2018

मकान सारे कच्चे थे लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे…

*"मकान सारे कच्चे थे" हरिवंश राय बच्चन* گهر سڀ ڪچا هئا  ----- هريونش راءِ بچن मकान चाहे कच्चे थे लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे… شايد گهر سڀ ڪچا هئا پر رشتا سڀ سچا هئا चारपाई पर बैठते थे पास पास रहते थे… کٽ تي وِهندا هُئاسين ويجهو ويجهو رهندا هئاسين सोफे और डबल बेड आ गए दूरियां हमारी बढा गए…. جڏھن سوفا ۽ ڊبل بيڊ اچي ويا وڇوٽيون اسان جون وڌنڌيون ويون छतों पर अब न सोते हैं कहानी किस्से अब न होते हैं.. اڄ ڇتين تي نٿا سمهون ڪهاڻيون ڪِسا بہ نٿا چئون आंगन में वृक्ष थे सांझा करते सुख दुख थे… اڱر ٻاهر وڻ هوندا هئا سک دک ونڊيا ويندا هئا दरवाजा खुला रहता था राही भी आ बैठता था… دروازا کُلا رهندا هئا ايندڙ ويندڙ بہ اندر اچي وهندا هئا कौवे भी कांवते थे मेहमान आते जाते थे… ڪانوَ ڪان ڪان ڪندا هئا مهمان ايندا ويندا هئا … इक साइकिल ही पास थी फिर भी मेल जोल की आस थी … سائيڪل هڪ ئي هوندي هئي پوءِ بہ ميل ميلاپ جي آس رهندي هئي … रिश्ते निभाते थे रूठते मनाते थे… رشتا نباهيندا هئاسين رٺل کي منائيندا هئاسين … पैसा चाहे कम था माथे पे ना गम था… پوءِ ناڻو بلاشڪ گهٽ...

یہ نظم آج سے 35 سال قبل حکیم سعید صاحب نے کہی تھی

یہ نظم آج سے 35 سال قبل حکیم سعید صاحب نے کہی تھی ، جہاں تک کام چلتا ہو *غذا* سے وہاں تک چاہیے بچنا *دوا* سے اگر *خوں* کم بنے، *بلغم* زیادہ تو کھا *گاجر، چنے ، شلغم* زیادہ *جگر کے بل* پہ ہے انسان جیتا اگر ضعف جگر ہے کھا *پپیتا* *جگر* میں ہو اگر *گرمی* کا احساس *مربّہ آملہ* کھا یا *انناس* اگر ہوتی ہے *معدہ* میں گرانی تو پی لی *سونف یا ادرک* کا پانی تھکن سے ہوں اگر *عضلات ڈھیلے* تو فوراََ *دودھ گرما گرم* پی لے جو دکھتا ہو *گلا نزلے* کے مارے تو کر *نمکین* پانی کے *غرارے* اگر ہو درد سے *دانتوں* کے بے کل تو انگلی سے *مسوڑوں* پر *نمک* مَل جو *طاقت* میں *کمی* ہوتی ہو محسوس تو *مصری کی ڈلی ملتان* کی چوس شفا چاہیے اگر *کھانسی* سے جلدی تو پی لے *دودھ میں تھوڑی سی ہلدی* اگر *کانوں* میں تکلیف ہووے تو *سرسوں* کا تیل پھائے سے نچوڑے اگر *آنکھوں* میں پڑ جاتے ہوں *جالے* تو *دکھنی مرچ گھی* کے ساتھ کھا لے *تپ دق* سے اگر چاہیے رہائی بدل پانی کے *گّنا چوس* بھائی *دمہ* میں یہ غذا بے شک ہے اچھی *کھٹائی* چھوڑ کھا دریا کی *مچھلی* اگر تجھ کو لگے *جاڑے* میں سردی تو اس...

मौलवी साहब की बेटियाँ

* मौलवी साहब की बेटियाँ * *"दर्द हल्का है, साँस भारी है,* *जिये जाने की रस्म जारी है।।"* 5 जील-हज को एक बड़ी बेटी ने कहा, "बाबा अब ईद के लिए पांच दिन रेह गए है हम ने अभी तक कुछ भी खरीदारी नही की है।" मौलवी साहिब ने कहा अच्छा मेरी प्यारी बच्ची !!! अभी बहोत दीन है खरीद लेंगे चाँद रात से एक दिन पहले सब कुछ खरीद लेंगे । मौलवी साहब यह बात केह ही रहे थे कि अज़ान सुनाई दी मौलवी साहब जो आंखें बेटी को झूठी तसल्ली देने पर शर्मिंदगी से झुकाए हुए थे उनको मौका मिल गया और मस्जिद की तरफ चल दिए । ईद से एक दिन पहले जब मौलवी साहब हर तरफ से मायूस हो गए क्योंकि माँगने से शर्मिंदगी मेहसूस होती है और कर्ज़ लेना नहीं चाहते क्योंकि वापस लौटाने की कोई उम्मीद ही नहीं दिखाई दे रही थी और खुद से किसी को तौफीक नहीं हुई क्योंकि मौलवी साहब के बच्चों के कहाँ दिल होते हैं जो मचलते हों वो कौनसे एहसास रखते है उन्हें कहाँ बाहर जाना होता है । तो मौलवी साहब जो के तावेलों के बेताज बादशाह थे दलील तो उनके घर की नोकरानी थी समझाने में तो माहिर थे जब कोई इंतेजाम न हुआ तो सोचा आज जितनी फ़ुज़ूल ...

ﻣﻮﻟﻮﯼ ﺻﺎﺣﺐ ﮐﯽ ﺑﯿﭩﯿﺎﮞ

*ﻣﻮﻟﻮﯼ ﺻﺎﺣﺐ ﮐﯽ ﺑﯿﭩﯿﺎﮞ* 5 ﺫﯼ ﺍﻟﺤﺞ ﮐﻮ ﺑﮍﯼ ﺑﯿﭩﯽ ﻧﮯ ﮐﮩﺎ ﺑﺎﺑﺎ ﻋﯿﺪ ﻣﯿﮟ ﭘﺎﻧﭻ ﺩﻥ ﺭﮦ ﮔﺌﮯ ﮨﯿﮟ ﮨﻢ ﻧﮯ ﮐﭽﮫ ﺑﮭﯽ ﺧﺮﯾﺪﺍﺭﯼ ﻧﮩﯿﮟ ﮐﯽ ﻣﻮﻟﻮﯼ ﺻﺎﺣﺐ ﻧﮯ ﮐﮩﺎ ﺍﭼﮭﺎ ﻣﯿﺮﺍ ﭘﺘﺮ !!! ﺍﺑﮭﯽ ﺑﮩﺖ ﺩﻥ ﮨﯿﮟ ﺧﺮﯾﺪ ﻟﯿﮟ ﮔﮯ ﭼﺎﻧﺪ ﺭﺍﺕ ﺳﮯ ﺍﯾﮏ ﺩﻥ ﻗﺒﻞ ﺳﺐ ﮐﭽﮫ ﻟﮯ ﻟﯿﮟ ﮔﮯ ﻣﻮﻟﻮﯼ ﺻﺎﺣﺐ ﯾﮧ ﺑﺎﺕ ﮐﺮﺭﮨﮯ ﺗﮭﮯ ﮐﮧ ﺁﺫﺍﻥ ﺳﻨﺎﺋﯽ ﺩﯼ ﻣﻮﻟﻮﯼ ﺻﺎﺣﺐ ﺟﻮ ﺁﻧﮑﮭﯿﮟ ﺑﯿﭩﯽ ﮐﻮ ﺟﮭﻮﭨﯽ ﺗﺴﻠﯽ ﺩﯾﻨﮯ ﭘﺮ ﺷﺮﻣﻨﺪﮔﯽ ﺳﮯ ﺟﮭﮑﺎﺋﮯ ﮨﻮﺋﮯ ﺗﮭﮯ ﺍﻧﮑﻮ ﻣﻮﻗﻊ ﻣﻞ ﮔﯿﺎ ﺍﻭﺭ ﻣﺴﺠﺪ ﮐﯽ ﻃﺮﻑ ﭼﻞ ﺩﺋﮯ ﻋﯿﺪ ﺳﮯ ﺍﯾﮏ ﺩﻥ ﻗﺒﻞ ﺟﺐ ﻣﻮﻟﻮﯼ ﺻﺎﺣﺐ ﮨﺮ ﻃﺮﻑ ﺳﮯ ﻧﺎﺍﻣﯿﺪ ﮨﻮﮔﺌﮯ ﮐﯿﻮﻧﮑﮧ ﻣﺎﻧﮕﻨﮯ ﺳﮯ ﻋﺰﺕ ﻧﻔﺲ ﺟﺎﺗﯽ ﮨﮯ ﺍﻭﺭ ﻗﺮﺽ ﻟﯿﻨﺎ ﻧﮩﯿﮟ ﮐﯿﻮﻧﮑﮧ ﻭﺍﭘﺴﯽ ﮐﯽ ﮐﻮﺋﯽ ﺻﻮﺭﺕ ﻣﻤﮑﻦ ﮨﯽ ﻧﮩﯿﮟ ﺍﻭﺭ ﺧﻮﺩ ﺳﮯ ﮐﺴﯽ ﮐﻮ ﺗﻮﻓﯿﻖ ﻧﮩﯿﮟ ﮨﻮﺋﯽ ﮐﯿﻮﻧﮑﮧ ﻣﻮﻟﻮﯼ ﺻﺎﺣﺐ ﮐﮯ ﺑﭽﻮﮞ ﮐﮯ ﮐﻮﻧﺴﮯ ﺩﻝ ﮨﻮﺗﮯ ﮨﯿﮟ ﺟﻮ ﻣﭽﻠﺘﮯ ﮨﻮﮞ ﺍﻧﮑﮯ ﮐﻮﻧﺴﮯ ﺍﺣﺴﺎﺳﺎﺕ ﮨﻮﺗﮯ ﮨﯿﮟ ﻭﮦ ﮐﻮﻧﺴﺎ ﻓﯿﻠﻨﮓ ﺭﮐﮭﺘﮯ ﮨﯿﮟ ﺍﻧﮩﻮﮞ ﻧﮯ ﮐﻮﻧﺴﺎ ﺑﺎﮨﺮ ﻧﮑﻠﻨﺎ ﮨﮯ ﺗﻮ ﻣﻮﻟﻮﯼ ﺻﺎﺣﺐ ﺟﻮ ﮐﮧ ﺗﺎﻭﯾﻠﻮﮞ ﮐﮯ ﺑﮯ ﺗﺎﺝ ﺑﺎﺩﺷﺎﮦ ﺗﮭﮯ ﺩﻟﯿﻞ ﺗﻮ ﺍﻧﮑﮯ ﮔﮭﺮ ﮐﯽ ﻟﻮﻧﮉﯼ ﺗﮭﯽ ﺳﻤﺠﮭﺎﻧﮯ ﻣﯿﮟ ﺗﻮ ﻣﺎﮨﺮ ﺗﮭﮯ ﺟﺐ ﮐﻮﺋﯽ ﺍﻧﺘﻈﺎﻡ ﻧﮧ ﮨﻮﺍ ﺗﻮ ﺳﻮﭼﺎ ﺁﺝ ﺟﺘﻨﯽ ﻣﻨﻄﻖ ﺍﻭﺭ ﺍﺳﺘﻘﺮﺍﺀ ﻗﯿﺎﺱ ﭘﮍﮬﺎ ﮨﮯ ﺳﺐ ﮐﻮ ﺑﺮﻭﺋﮯ ﮐﺎﺭ ﻻﮐﺮ ﺑﯿﭩﯽ ﮐﻮ ﻗﺎﺋﻞ ﮐﺮﻭﮞ ﮔﺎ ﮐﮧ ﺑﯿﭩﺎ ﺑﮍﯼ ﻋﯿﺪ ﭘﺮ ﮐﻮﺋﯽ ﮐﭙﮍﮮ ﻧﮩﯿﮟ ﭘﮩﻨﺘﺎ ﯾﮧ ﺗﻮ ﻗﺮﺑﺎﻧﯽ ﮐﯽ ﻋﯿﺪ ﮨﮯ ﻟﯿﮑﻦ ﺩﮬﮍﮐﺎ ﺗﮭﺎ ﮐﮧ ...

पिकासो ने कहा इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा है।

पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्मे एक अति प्रसिद्ध चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं...!! एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वह दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली, 'सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे...!!?' पिकासो हँसते हुए बोले, 'मैं यहाँ खाली हाथ हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं फिर कभी आपके लिए एक पेंटिंग बना दूंगा..!!' लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ ली, 'मुझे अभी एक पेंटिंग बना दीजिये, बाद में पता नहीं मैं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।' पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उस पर कुछ बनाने लगे। करीब 10 मिनट के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा, 'यह लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।' महिला को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 मिनट में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी है और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उस ने वह पेंटिंग ली और ब...

एक होमवर्क ऐसा भी....

एक होमवर्क ऐसा भी- चेन्नई के एक स्कूल ने अपने बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है. वजह बस इतनी कि उसे बेहद सोच समझकर बनाया गया है. इसे पढ़कर अहसास होता है कि हम वास्तव में कहां आ पहुंचे हैं और अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं. अन्नाई वायलेट मैट्रीकुलेशन एंड हायर सेकेंडरी स्कूल ने बच्चों के लिए नहीं बल्कि पेरेंट्स के लिए होमवर्क दिया है, जिसे हर एक पेरेंट को पढ़ना चाहिए. उन्होंने लिखा- पिछले 10 महीने आप के बच्चों की देखभाल करने में हमें अच्छा लगा.आपने गौर किया होगा कि उन्हें स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है. अगले दो महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक यानी आप उनके साथ छुट्टियां बिताएंगे. हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं जिससे ये समय उनके लिए उपयोगी और खुशनुमा साबित हो. - अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं. उन्हें किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम के बारे में बताएं. और उन्हें बताएं कि उपना खाना बेकार न करें. - खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें. इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे. - उन्हें अपने साथ खाना बनाने में ...

AC का सही उपयोग

*AC का सही उपयोग*                                                     जैसा कि सभी को पता है कि भीषण गर्मी शुरू हो चुकी है और घर घर एयर कंडीशनर चलने लगे हैं। अधिकतर लोगों की आदत है कि वह अपने AC को 20-22 डिग्री पर चलाते हैं और ठंड लगने पर दोहर व कंबल आदि ओढ़ लेते हैं। इससे दोहरा नुकसान होता है। आईये जानते हैं कैसे: क्या आपको पता है कि हमारे शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्शियस होता है। शरीर 22 डिग्री से 39 डिग्री तक का तापमान सह सकता है। इसे कहते हैं human body temperature tolerance. तापमान के इससे कम या अधिक होने पर शरीर प्रतिक्रिया करने लगता है जैसे छीकें आदि। जब आप 20-21 डिग्री पर AC चलाते हैं तो यह तापमान शरीर के सामान्य तापमान से कम है और इससे शरीर में hypothermia नाम का एक process शुरू हो जाता है जो रक्त प्रवाह (blood circulation) को प्रभावित करता है और शरीर के कुछ अंगों में रक्त ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पाता। इसके long term में बहुत नुकसान होत...

इस link में 54 कारियों की फ़ोटो है

इस link में 54 कारियों की फ़ोटो है जिस क़ारी की आवाज़ आप क़ुरआन ऐ पाक की तिलावत सुनना चाहें उस फ़ोटो पर क्लिक करें और उन की आवाज में तिलावत सुने ।   ये आप के लिए आने वाले वक़्त के लिए एक तोहफा है । اس لنک میں 54 قاریوں کی فوٹو ہیں جس قاری کی آواز آپ قرآن پاک کی تلاوت سننا چاہیں  ، اس کی فوٹو پر کلک کریں اور اسی کی آواز میں تلاوت سنئیں ۔۔ شکریہ آنے والے وقت کے لیئے تحفہ ھے طالب دعا http://www.quran4iphone.com/MenuPhotosEN.html#

मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा !

बाहर  बारिश  हो  रही  थी, और अन्दर  क्लास  चल रही  थी        तभी  टीचर  ने  बच्चों  से  पूछा - अगर तुम  सभी  को  100-100 रुपया  दिए जाए  तो  तुम  सब  क्या  क्या खरीदोगे ? किसी  बच्चे ने  कहा - मैं  वीडियो  गेम खरीदुंगा.. किसी बच्चे ने  कहा - मैं  क्रिकेट  का  बेट खरीदुंगा.. किसी बच्ची ने  कहा - मैं  अपने  लिए  प्यारी सी  गुड़िया  खरीदुंगी.. तो, किसी  बच्ची ने  कहा - मैं  बहुत  सी चॉकलेट्स  खरीदुंगी.. एक  बच्चा  कुछ  सोच  में  डुबा  हुआ  था.... सर  ने  उससे  पुछा ; तुम  क्या  सोच  रहे  हो, तुम अपने लिए क्या खरीदोगे ? बच्चा ने कहा ; सर  जी  मेरी  माँ  को थोड़ा  कम  दिखाई  देता  है  तो  मैं अपनी  माँ  के  लिए  एक  ...

आज घर वापस जाने के बाद अपने पिताजी के हाथ धोना...

पढ़ाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाने की चाह में इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा.... छात्र ने बड़ी आसानी से पहला इंटरव्यू पास कर लिया... अब फाइनल इंटरव्यू कंपनी के डायरेक्टर को लेना था... और डायरेक्टर को ही तय करना था कि उस छात्र को नौकरी पर रखा जाए या नहीं... डायरेक्टर ने छात्र का सीवी (curricular vitae)  देखा और पाया  कि पढ़ाई के साथ- साथ यह  छात्र ईसी (extra curricular activities)  में भी हमेशा अव्वल रहा... डायरेक्टर- "क्या तुम्हें  पढ़ाई के दौरान कभी छात्रवृत्ति (scholarship)  मिली...?" छात्र- "जी नहीं..." डायरेक्टर- "इसका मतलब स्कूल-कॉलेज  की फीस तुम्हारे पिता अदा करते थे.." छात्र- "जी हाँ , श्रीमान ।" डायरेक्टर- "तुम्हारे पिताजी  क्या काम  करते  है?" छात्र- "जी वो लोगों के कपड़े धोते हैं..." यह सुनकर कंपनी के डायरेक्टर ने कहा- "ज़रा अपने हाथ तो दिखाना..." छात्र के हाथ रेशम की तरह मुलायम और नाज़ुक थे... डायरेक्टर- "क्या तुमने कभी  कपड़े धोने में अपने  पिताज...