मैं बहुत ही ज़्यादा गरीब आदमी था
मैं बहुत ही ज़्यादा गरीब आदमी था एक बार मैंने तवाफ़ करते हुए एक हार देखा जो बड़ा कीमती था। मैंने वह हार उठाया मेरा नफ़्स केह रहा था कि उसे छुपा लुँ- लेकिन दिल ने कहा हरगिज़ नहीं! यह तो चोरी है दीनदारी का तकाज़ा यह है कि इस हार को उसके मालिक तक पहुंचाया जाए, चुनांचे मुताफ में खड़े होकर मैंने ऐलान कर दिया अगर किसी का हार खोगया है तो वो आकर मुझसे ले जाए, एक "नाबीना" आदमी आगे आया और कहा कि यह मेरा हार है, और यह मेरी थैली से गिर गया है, मेरे नफ़्स ने मुझे और मलामत कर दिया कि हार तो था और वो भी किसी नाबीना का ??? इसका किसी को क्या पता चलना था छुपा लेते, मगर मैंने हार इस बुजुर्ग नाबीना को दिया वह दुआएं देता हुआ वापस चला गया। मैं अल्लाह से रोज़ रोजी की दुआ किया करता था कि अल्लाह मेरे लिए रोज़ी का इंतिज़ाम कर दें। अल्लाह की शान देखिएँ कि मैं मक्का से "हिला" आ गया यह एक शहर का नाम है, वहाँ एक मस्जिद में गया तो पता चला कि वहाँ के इमाम साहब मर गए हैं, लोगों ने मुझे कहा कि आप आगे होकर नमाज़ पढ़ा दे मैंने जब नमाज़ पढ़ाई तो लोगों को मेरी नमाज़ अच्छी लगी वह मुझे कहने लगे आप यहाँ के इमाम...