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Showing posts from June, 2017

अत्तहिय्यात यह एक बहुत अहम दुआ है।

क्या आप जानते है की अत्तहिय्यात जो हर नमाज मे पढ़ी जाती है उसका वजूद कैसे हुआ ??? अत्तहिय्यात यह एक बहुत अहम दुआ है। जब मैने इसकी हकीकत जानी तो इसकी हकीकत मेरे दिल को छू गई । अत्तहिय्यात क्या है? अत्तहिय्यात असल मे गुफ्तगु है आसमान मे अल्लाह और उसके रसूल के दरमियान की मेअराज के वक्त की के जब हमारे नबी हजरत मोहम्मद सलल्ललाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह से मुलाकात के लिए हाज़िर हुए । मुलाकात के वक्त रसूलुल्लाह सलल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने सलाम नही किया, और अस्सलामु अलैकूम नही कहा । अगर कोई अल्लाह से मुलाकात करता है तो उस शख्स को क्या केहना चाहीए.. दरअसल हकीकत मे हम अल्लाह को सलाम नही पेश कर सकते क्यूंकि तमाम सलामती अल्लाह की तरफ से ही है इसलिए रसूलुल्लाह सलल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने अल्लाह को सलाम न करते हुए यह फरमाया: "अत्तहिय्यातू लिल्लाही वस्सलवातू वत्तह्यीबात" (बोल से अदा होनेवाली तमाम और बदन से अदा होनेवाली तमाम इबादते अल्लाह ही के लिए है) इस पर अल्लाह ने जवाब दिया, "अस्सलामु अलैका अय्यूहननबीयु वराहमतुल्लाही वबरकातूह" (सलामती हो तूम पर या नबी, और...

"गंगादास तुझे प्रधानाचार्या जी अभी तुरंत बुला रही है"।

वो, एक शहर के अंतररास्ट्रीय प्रसिद्धि के विद्यालय के बगीचे में बिना तेज धूप और गर्मी की परवाह किये, बड़ी लग्न से पेड़ पौधों की काट छाट में लगा था की तभी विद्यालय के चपरासी की आवाज सुनाई दी, "गंगादास तुझे प्रधानाचार्या जी अभी तुरंत बुला रही है"। गंगादास को आखिरी पांच शब्दो में काफी तेजी मेहसूस हुई और उसे लगा कि कोई महत्वपूर्ण बात हुई है जिसकी वजह से प्रधानाचार्या ने उसे तुरंत ही बुलाया है। वो बहुत ही शीघ्रता से उठा, अपने हाथों को धोकर साफ किया और फिर द्रुत गति से प्रधानाचार्य के कार्यलय की ओर चल पढ़ा। उसे प्रधानाचार्य महोदय का कार्यालय की दूरी मीलो की दूरी लग रही थी जो खत्म होने का नाम नही ले रही थी। उसकी ह्र्दयगति बडी गई थी। वो सोच रहा था कि उससे क्या गलत हो गया जो आज उसको प्रधानाचार्य महोदया ने उसे तुरंत ही उनके कार्यालय में आने को कहा। वो एक ईमानदार कर्मचारी था और अपने कार्य को पूरी निष्ठा से पूर्ण करता था पता नही क्या गलती हो गयी वो इसी चिंता के साथ प्रधानाचार्य के कार्यालय पहुचा "मैडम क्या मैं अंदर आ जाऊ, आपने मुझे बुलाया था"। "हा, आओ अंदर आओ और ये देखो...

बचपन में माँ ने भी चीटिंग करके कई चीजें खिलाई है। पहले वो करती थीं, अब मैं बदला ले रहा हूँ।'

एक प्यार ऐसा भी............. नींद की गोलियों की आदी हो चुकी बूढ़ी माँ नींद की गोली के लिए ज़िद कर रही थी। बेटे की कुछ वक़त पहले ही शादी हुई थी। बहु डॉक्टर थी। बहु सास को नींद की दवा की लत के नुक्सान के बारे में बताते हुए उन्हें गोली नहीं देने पर अड़ी थी। जब बात नहीं बनी तो सास ने गुस्सा दिखा कर नींद की गोली पाने का प्रयास किया। अंत में अपने बेटे को आवाज़ दी। बेटे ने आते ही कहा,'माँ मुहं खोलो।'पत्नी के मना करने पर भी बेटे ने जेब से एक दवा का पत्ता निकाल कर एक छोटी सी पिले रंग की गोली माँ के मुहं में डाल दी। और पानी भी पिला दिया। गोली लेते ही दुआएँ देती हुई माँ सो गयी। पत्नी ने कहा ,' ऐसा नहीं करना चाहिए था आप को।' पति ने दवा का पत्ता अपनी पत्नी के हातों में दे दिया। विटामिन की गोली का पत्ता देख कर पत्नी के चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी। धीरे से बोली "आप अपनी माँ के साथ चीटिंग करते हो।" पति ने कहा ''बचपन में माँ ने भी चीटिंग करके कई चीजें खिलाई है। पहले वो चीटिंग करती थीं, 'अब मैं बदला ले रहा हूँ।' यह कहते हुए बेटा मुस्कुराने लगा। बु...

इसीलिए केहता हुँ निकाह आम करो और ज़िना मुश्किल करो.

#निकाह_या_ज़िना माँ, मैं जल्द शादी करना चाहता हुं, गुनाह से बचना चाहता हुं, अपना आधा इमान मुकम्मल करना चाहता हुं, तुम क्यो मेरी जल्दी शादी नही करती, मैं एक आम इंसान हुं, 26 साल मेरी उम्र है, और मेरा घराना मजहबी है, जहा नमाज रोजा दीन को बहुत अहमियत दी जाती है, लेकिन ये अहमियत सिर्फ नमाज रोजा तक ही है, जो हुक्म इसके अलावा है वो हमारे खानदान मे पुरे नही होते. मैंने स्कूल कालेज यूनिवर्सटी से लेकर हर इदारे मे अपने आपको गुनाहो से महफूज रखने की अल्लाह की ताकत से कोशिश की, मेरे दोस्त गर्लफ्रेंड बनाते थे बुरे काम करते थे, डेट मारते थे, मगर मेने हमेशा सोचा मैं ये सब काम हलाल तरीके से करूंगा, जब मेरी उम्र बीस साल हुई तो मुझे शादी की जरूरत हुई, मैंने अपने घरवालो से गुजारिश की, सबने ताज्जुब किया जैसे मैंने कोई अजीब बात कर दी हो, मुझे कहा गया के पहले तुम्हारे खर्चे पुरे नही होते, फिर एक और बन्दा घर ले आए तुम्हारी बीवी के खर्चे जरूरत कौन पुरी करेगा, मैंने डरते डरते जवाब दिया अगर हमारे घर मे एक भाई या बहन और होते तो उनका रिज्क कहा से लाते, घर वालो को एक और ऑफर पेश की के मेरा यूनिवर्सटी स्कॉलर शीप भ...

बड़ी कोशिशो के बावजूद वह वहां से जल्दी न निकल सकी

एक अरब मुसलमान लड़की लंदन में पढ़ाई कर रही थी एक दिन वह अपने सहेली के घर किसी फंक्शन के लिए जाती है बड़ी कोशिशो के बावजूद वह वहां से जल्दी न निकल सकी जब वह इस फंक्शन से फारिग होकर निकली तो रात काफी हो चुकी थी | उसका घर दूर था घर पहुचने का जरिया सिर्फ बस या ट्रेन का सफर था लेकिन वह ट्रेन से सफर करने से कुछ ख़ौफ़ज़दा महसूस कर रही थी क्योंकि इंग्लैंड में अक्सर रात के वक़्त ट्रेनों और स्टेशनों पर बहुत से जरायमपेशा और नशे में धुत अफ़राद होते है, आये दिन टीवी चैनलों और अखबारों में यहाँ होने वाली वारदातो का तज़करा मौजूद होता है | चूँकि इस लड़की को ज्यादा देर हो चुकी थी और बस काफी वक़्त ले सकती थी इसलिए उसने खतरों के बावजूद ट्रेन में जाने का फैसला कर लिया, यह बात पेश-ए- नज़र रहे के यह लड़की दीनदार नहीं थी बल्कि बहुत ज्यादा आज़ाद ख्यालात और लिबरल थी | जब वह स्टेशन पर पहुंची थो उसने देखा की उसके जिस्म में खौफ की एक सर्द लहर दौड़ गई की स्टेशन बिलकुल सुनसान हैं सिर्फ एक शख्स खड़ा है जो शक्ल से ही जरायम पेशा लगता हैं, वह बहुत डर गई फिर उसने हिम्मत की खुद को संभाला और क...

उस शख़्स ने औरत से पूछा तुम इसे क्यों जमा कर रही हो ?

मिस्र का ऐक अमीर बिजनस मेन था उसकी उम्र पचास साल के लगभग थी ! के ऐक दिन उसको दिल में तक्लीफ़ का ऐहसास हुआ और जब उसने क़ाहेरा के सबसे बड़े हस्पताल में अपना इलाज कराया तो उन्होने मआज़रत (माफ़ी) चाहते हुवे उन्हें यूरोप जाने को कहा ! यूरोप में तमामटेस्ट मुकम्मल (पूरे) करने के बाद वहाँ के डॉक्टर ने उसे बताया के तुम सिर्फ़ चंद दिन के मेहमान हो ! क्योंकी तुम्हारा दिल काम करना छोड़ रहा है वो शख़्स बाय पास करवा कर मिस्र वापस आ गया और अपनी ज़िंदगी के बाक़ी दिन गिन गिन कर गुज़ारने लगा ! ऐक दिन वो ऐक दुकान से गोश्त ख़रीद रहा था जब उसने देखा के ऐक औरत कसाई के फे़के हुवे चर्बी के टुकड़ों को जमा कर रही है ! उस शख़्स ने औरत से पूछा तुम इसे क्यों जमा कर रही हो ? औरत ने जवाब दिया के घर में बच्चे गोश्त खाने की ज़िद कर रहे थे चुँकी मेरा शौहर मर चुका है और कमाने का कोई ज़रिया भी नहीं है इसलिये मैने बच्चों की ज़िद की बदोलत मजबूर होकर ये क़दम उठाया है ! इस फेंकी हुई चर्बी के साथ थोड़ा बोहोत गोश्त भी आ जाता है जिसे साफ़ करके पका लूँगी ! बिजनस मैन की आँखों में आँसू आ गऐ उसने सोंचा मेरी इत्नी द...

वह मुस्लिम महिला जिसने स्थापित की थी आधुनिक विश्व की सबसे पहली यूनिवर्सिटी

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वह मुस्लिम महिला जिसने स्थापित की थी आधुनिक विश्व की सबसे पहली यूनिवर्सिटी इस्लाम में शिक्षा पर बहुत जोर दिया गया है। पवित्र कुरान की ऐसी कई आयतें हैं जिनमें शिक्षा का महत्व बताया गया है। आमतौर पर ऐसा समझा जाता है कि शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान तो सिर्फ पुरुषों के लिए हैं, परंतु यह सच नहीं है। इस्लाम में महिलाओं को भी शिक्षा की बराबरी का अधिकार दिया गया है। आज हम आपको बताएंगे उस मुस्लिम महिला के बारे में जिसने सदियों पहले यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। 1- उस महान मुस्लिम महिला का नाम फातिमा अल-फिहरी था। वे अरब में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती थीं। उनका शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने अल कारावियिन यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। यह उस जमाने में बहुत बड़ी घटना थी। 2- सन् 800 ई. में फातिमा का जन्म ट्यूनीशिया के कारावान में हुआ। फातिमा के पिता मुहम्मद अल-फिहरी बहुत धनी कारोबारी थे। खुद फातिमा भी शिक्षित थीं। वे धन का उपयोग ऐसे कार्य में करना चाहती थीं जिससे संसार की भलाई हो और जिसकी जरूरत हर व्यक्ति को हो। निश्चित रूप से शिक्षा ही माध्यम है जो हर युग में मनु...

यह काम अल्लाह का हे, अल्लाह जाने

Edited Story पाकिस्तान बनने से पहले सिंध के एक पुराने शहर में एक हकीम साहब हुआ करते थे, जिनका मकान  एक पुरानी सी इमारत में था। हकीम साहब रोज  सुबह दुकान जाने से पहले पत्नी को कहते कि जो कुछ आज के दिन के लिए तुम्हें चाहिये वो एक चिठ्ठी में लिख कर दे दो। पत्नी लिखकर दे देती । हकीम साहब दुकान पर आकर पहले वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होती। उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर अल्लाह से दुआ करते कि या अल्लाह! मैं सिर्फ और सिर्फ तेरे ही हुक्म के मुताबिक और में तेरी इबादतों को छोड़कर कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। ज्योंही तू मेरी आज की ज़रूरतों का और पैसो का इनतिजाम कर देगा। उसी वक़्त में यहां  से उठ कर चला जाऊँगा और फिर यही होता। कभी सुबह साढ़े नौ, कभी दस बजे हकीम साहब रोगियों का ईलाज कर के वापस अपने गाँव चले जाते। एक दिन हकीम साहब ने दुकान खोली। रकम के हिसाब के लिए चिठ्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आंखों के सामने तारे चमकते हुए नजर आ गए लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने आपे पर काबू पा लिया। आटे दाल चावल ...

بیگم افطاری کے انتظام میں کوئی کمی بیشی نہیں رہنی چاہیے،

بیگم افطاری کے انتظام میں کوئی کمی بیشی نہیں رہنی چاہیے، میں نے آموں کی پیٹی بمشکل نیچے رکھ کر پھولے سانس سے صوفے کی طرف لپکتے ہوئے فاطمہ سے کہا، میرے خدایا اور کتنی بار کہیں گے پہلے کبھی کوئی کمی بیشی رہی ہے جو اتنی تائید کررہے ہیں،پچھلی بار بھی ایسی مزے کی افطاری کروائی تھی آج تک آپ کے دوست تعریفیں کرتے ہیں، فاطمہ نے زچ آکر کر کہا- میں نے کہا:ہاں بھئی وہ تو یاد ہے آج بھی ویسی ہی ہونی چاہیئے تمہیں پتا ہے دوست احباب ہیں تو ذرہ تمہاری بھی عزت ہوگی میری بھی، ہاں ہاں ٹھیک ہے آپ فکر نہ کریں ویسی ہی ہوگی، فاطمہ نے مجھے دیکھے بغیر روح افزاء کی بوتل دودھ میں انڈیلتے ہوئے کہا،اور ساتھ ہی کہا کہ چکن بریانی،مٹن کڑائی،بیف،شوارمہ،کباب،ذردہ،نہاری،پکوڑے سموسے،ملک شیک یہ سب تیار ہوچکے ہیں کجھوریں بھی منگوا لی ہیں بس فروٹ کاٹنے والا ہے آپ ذرہ مدد کردیں نا ٹائم تھوڑا رہتا ہے، خیر میں نے چھری لی اور فاطمہ کی مخالف سمت بیٹھ کر فروٹ کاٹنا شروع کردیا کچھ ہی دیر میں افطاری کا انتظام مکمل ہوا اور ساتھ ہی ہم نے صحن میں سجے ڈائنگز پہ لگا دی،دوستوں اور رشتہ داروں کی آمد کا سلسلہ بھی شروع ہوگیا،افطاری...

خانہ کعبہ کی چابیاں سعودی شاہی خاندان کے پاس کیوں نہیں رکھی جاتیں ؟

خانہ کعبہ کی چابیاں سعودی شاہی خاندان کے پاس کیوں نہیں رکھی جاتیں ؟جانئے مقدس ترین مقام کی چابیوں کے پیچھے چھپی وہ معجزاتی تاریخ جو آپ کا بھی ایمان تازہ کر دے گی جدہ) اگرچہ سعودی فرماں روا کو خادمین حرمین شریفین کہا جاتا ہے لیکن درحقیقت خانہ کعبہ کی چابیاں ان کے پاس نہیں ہوتیں۔ یہ چابیاں صدیوں سے شیبی خاندان کے پاس ہیں اور اس کے پیچھے ایسی کہانی ہے کہ سن کر آپ کا ایمان تازہ ہو جائے گا۔ ویب سائٹ ’پڑھ لو‘کی رپورٹ کے مطابق بیت اللہ کی چابیاں اس خاندان کے پاس اس لیے چلی آ رہی ہیں کہ خود اللہ سبحان تعالیٰ نے اس کام کے لیے اس خاندان کا انتخاب کیا تھا اور رسول اللہ ﷺ نے چابیاں ان کے حوالے کی تھیں۔ جب 8ہجری میں مسلمان مکہ پر غالب آئے اور اسے فتح کیا تو نبی کریم ﷺ نے خانہ کعبہ میں داخل ہونے کی خواہش ظاہر کی لیکن اس کا دروازہ مقفل تھا۔ لوگوں نے بتایا کہ اس کی چابیاں عثمان ابن طلحہٰ کے پاس ہیں۔ عثمان ابن طلحہٰ مسلمانوں کے مکہ مکرمہ فتح کر لینے پر خوفزدہ ہو کر خانہ کعبہ کی چھت پر چھپے ہوئے تھے۔ لوگوں کے بتانے پر رسول اللہ ﷺ نے حضرت علی کرم اللہ وجہہ کو حکم دیا کہ عثمان سے چابیاں لے کر دروازہ کھ...

“ये बिल क्या होता है माँ ?” 8 साल के बेटे ने माँ से पूछा।

*“ये बिल क्या होता है माँ ?” 8 साल के बेटे ने माँ से पूछा।* *माँ ने समझाया* -- “जब हम किसी से कोई सामान लेते हैं या काम कराते हैं, तो वह उस सामान या काम के बदले हम से पैसे लेता है, और हमें उस काम या सामान की एक सूची बना कर देता है, इसी को हम बिल कहते हैं।” *लड़के को बात अच्छी तरह समझ में आ गयी।*  रात को सोने से पहले, उसने माँ के तकिये के नीचे एक कागज़ रखा, जिस में उस दिन का हिसाब लिखा था।  पास की दूकान से सामन लाया   - *5रु* पापा के लिए कंघा लाया- *5 रु* दादाजी का सर दबाया- *10 रु* माँ की चाभी ढूंढी- *10 रु* *------------------------*             कुल- *30रु* *यह सिर्फ आज का बिल है , इसे आज ही चुकता कर दे तो अच्छा है।*  सुबह जब वह उठा तो उसके तकिये के नीचे *30 रु.* रखे थे। यह देख कर वह बहुत खुश हुआ कि ये बढ़िया काम मिल गया। तभी उस ने एक और कागज़ वहीं रखा देखा। जल्दी से उठा कर, उसने कागज़ को पढ़ा। *माँ ने लिखा था*-- जन्म से अब तक पालना पोसना --      *रु 00* बीमार होने पर रात रात भर छाती से लगाये घूमना ...