अत्तहिय्यात यह एक बहुत अहम दुआ है।
क्या आप जानते है की अत्तहिय्यात जो हर नमाज मे पढ़ी जाती है उसका वजूद कैसे हुआ ??? अत्तहिय्यात यह एक बहुत अहम दुआ है। जब मैने इसकी हकीकत जानी तो इसकी हकीकत मेरे दिल को छू गई । अत्तहिय्यात क्या है? अत्तहिय्यात असल मे गुफ्तगु है आसमान मे अल्लाह और उसके रसूल के दरमियान की मेअराज के वक्त की के जब हमारे नबी हजरत मोहम्मद सलल्ललाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह से मुलाकात के लिए हाज़िर हुए । मुलाकात के वक्त रसूलुल्लाह सलल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने सलाम नही किया, और अस्सलामु अलैकूम नही कहा । अगर कोई अल्लाह से मुलाकात करता है तो उस शख्स को क्या केहना चाहीए.. दरअसल हकीकत मे हम अल्लाह को सलाम नही पेश कर सकते क्यूंकि तमाम सलामती अल्लाह की तरफ से ही है इसलिए रसूलुल्लाह सलल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने अल्लाह को सलाम न करते हुए यह फरमाया: "अत्तहिय्यातू लिल्लाही वस्सलवातू वत्तह्यीबात" (बोल से अदा होनेवाली तमाम और बदन से अदा होनेवाली तमाम इबादते अल्लाह ही के लिए है) इस पर अल्लाह ने जवाब दिया, "अस्सलामु अलैका अय्यूहननबीयु वराहमतुल्लाही वबरकातूह" (सलामती हो तूम पर या नबी, और...